Friday, September 11, 2020

Santosh Pathak-The Silent Murder (द साइलेंट मर्डर)

उपन्यास का नाम:  द साइलेंट मर्डर  
उपन्यासकार का नाम:  संतोष पाठक  
पब्लिकेशन:  थ्रिल वर्ल्ड 
पृष्ठ संख्या : 226 
मूल्य : 230/-  
ASIN नंबर: ASIN : B08CSK823D
अमेजॉन लिंक :द साइलेंट मर्डर


"वह दूसरा बंगला रमेश भण्डारी ने हाल ही में अपनी पुरसुकून जिंदगी और तन्हा रहने की फितरत के मद्देनजर खरीदा था । बाद में दोनों बंगलों के बीच की बाउंड्री को तोड़कर उन्हें आपस में यूं जोड़ दिया गया कि बाहर से देखने पर वह अब दो की बजाय एक नजर आते थे ....... वह साठ के पेटे में पहुंचा, नाजुक तंदरुस्ती वाला खूब लंबा चौड़ा शख्श था, जिसे बीपी से लेकर शुगर तक ! बस समस्या ही समस्या थी । दो बार दिल का दौरा पड़ चुका था, ऐसे में उसकी कभी भी चल-चल हो जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी ।" ( पृष्ठ 9-10)
    
"द साइलेंट मर्डर" संतोष पाठक जी का लिखा हुआ एक नवीनतम उपन्यास है। यह उपन्यास "आशीष गौतम सीरीज" का उपन्यास है । कोरोना कॉल में संतोष पाठक जी ने अपने पाठकों को एक के बाद एक बेहतरीन तोहफा दिया है। यह उपन्यास एक Who Done It किस्म का उपन्यास है। इस उपन्यास में पत्रकार आशीष गौतम की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।

कहानी:-
कहानी की शुरुआत में एक धनाड्य व्यक्ति रमेश भंडारी की नौकरानी कोमल सामंता सुबह उसके घर में नाश्ता देने के लिए जाती है । रमेश भण्डारी द्वारा कोई जवाब ना मिलने पर उसे किसी अनहोनी की आशंका होती है । वह उसके परिवार वालों को बुलाती है। उसके पुत्र प्रकाश और अविनाश पुलिस को सूचना देते हैं और पुलिस इंस्पेक्टर सुधीर राय के आने पर सब इंस्पेक्टर अनिल रावत मकान का या कहें उस कमरे का दरवाजा बड़ी मुश्किल से तोड़ा जाता है । कमरे के अंदर धनकुबेर रमेश भंडारी मृत पाया जाता है।
 
उसकी मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार वह हार्ट पेशेंट था और सभी यही मानते हैं कि रात को किसी वजह से उस व्यक्ति को हार्ट-अटैक आया होगा और उसने अपने परिवार से सहायता मांगने की कोशिश की होगी लेकिन अंधेरे और हार्ट-अटैक के दर्द की वजह से वो उसमें कामयाब नहीं हो पाया था। इंस्पेक्टर  सुधीर इसे एक सीधी-सादी हार्ट अटैक से हुई मौत की संज्ञा देता है। लेकिन तब इस कहानी में पदार्पण होता है। आशीष गौतम का और वह जब इस बारे में तहकीकात करनी शुरु करता है तो उसे शक होता है कि रमेश भण्डारी अपनी आई मौत नहीं मरा था, बल्कि उसे किसी ने जबरन रुखसत कर दिया था। आशीष गौतम के सद्के रमेश भण्डारी का दोबारा पोस्टमार्टम होता है ।उसके बाद रहस्य की परतें परत दर परत खुलती चली जाती हैं और फिर यह सीधी-सादी मौत एक साइलेंट मर्डर का केस लगना शुरू हो जाती है । अपनी तहकीकात पूरी करते हुए आशीष अंत में इस केस को सुलझाने में कामयाब रहता है।

महत्वपूर्ण पात्र:- 

 इस कहानी के अंदर रमेश भंडारी के अलावा कुछ और अहम पात्र हैं जो पूरी कहानी में आपके साथ रहते हैं । जिसमें रमेश भंडारी के दोनों पुत्र अविनाश और प्रकाश, उसका दामाद रवि कांत, डॉक्टर अनिल अस्थाना, फोरेंसिक एक्सपर्ट पावन मिश्रा,  वकील हरिदास गोस्वामी,  विधायक महिपाल सिंह, विधायक का पुत्र विप्लव सिंह, पुलिस इंस्पेक्टर सुधीर राय  और उसका सहायक अनिल रावत, मेड कोमल सामंता, राम परसाद, असगर अहमद और अनिल त्रिपाठी  । 

आशीष गौतम की तहकीकात उपन्यास में उपस्थित प्रत्येक पात्र की जांच पड़ताल करती है, जिसमें उसका मुख्य फोकस अविनाश, रविकांत और प्रकाश पर रहता है साथ में उसके शक के दायरे में है विप्लव सिंह ।  संतोष पाठक जी ने इस कहानी में एक मेडिकल ट्विस्ट भी डाला है जो पाठकों को पसंद आएगा। कहानी के बारे में हम ज्यादा बातें नहीं करते हैं क्योंकि यह एक सपोइलर के रूप में कार्य कर सकता है। अतः आखिर में गुनहगार कौन है यह आप उपन्यास पढ़ कर ही पता लगाएं तो ज्यादा मुनासिब रहेगा ।

मेरी राय:-
अब हम इस उपन्यास के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर बात करते हैं :
 
1) सबसे पहले इस उपन्यास की साज-सज्जा।  यह उपन्यास व्हाइट पेपर में और एक आकर्षक मुखपृष्ठ के साथ थ्रिल वर्ल्ड पब्लिकेशन ने छापा है। पेपर क्वालिटी और प्रिंटिंग अव्वल दर्जे की है जो  पाठकों के लिए बहुत हर्ष का विषय हो सकते हैं। 

 2) संतोष पाठक जी की लेखनी दिन प्रतिदिन और सुदृढ़ होती जा रही है । कहानी, चरित्र चित्रण और घटनाक्रम पर संतोष पाठक जी की मजबूत पकड़ है। अब उनके चरित्र पाठकों के दिमाग में अपनी अलग अलग छवि बना लेते हैं, जिससे कहानी का मजा दुगना हो जाता है।

3) अश्लीलता और गाली गलौज की भाषा से उन्होंने इस उपन्यास को पूर्ण रूप से मुक्त रखा है।

पर इस उपन्यास में कुछ ऐसी बातें हैं खटकती भी हैं कि जैसे मकतूल रमेश भंडारी का विधायक महिपाल के नौकरों के नाम पर बेनामी संपत्ति लेना। क्योंकि पाठक जी ने यह चित्रित किया है कि विधायक महिपाल और रमेश भंडारी की आपस में नहीं बनती है । उनका उस घर को लेकर के विवाद था या मनमुटाव है जिसमें भंडारी मृत पाया जाता है। उसी महिपाल सिंह के नौकरों के नाम पर कोई व्यक्ति बेनामी संपत्ति क्यों खरीदेगा? क्या उसे पता नहीं कि यह दोनों नौकर महिपाल सिंह के हैं?  वह इस संपत्ति के सौदों के लिए अपने दामाद रवि कांत पर भरोसा करता है,  जिसे वह पसंद नहीं करता । यह मुझे थोड़ा अटपटा लगा,क्योंकि संपत्ति की खरीद में हम आम तौर पर अपने विश्वासपात्र लोगों से ही बात करते हैं ।
दूसरा जो पॉइंट है कि स्ट्रॉ का उनके घर के भीतर बाउंड्री के अंदर मिलना । यह कथाकार की अपनी सुविधा हो सकती है कि वह अपने घटनाक्रम को किस प्रकार दिखाता है और चीजों को कैसे बरामद होता हुआ दिखाता है, लेकिन इस बात की जस्टिफिकेशन हमें नहीं मिलती। अगर गली में ही मिलता तो क्या आशीष का ध्यान खींचने में कामयाब होता? 
अगर पूरे उपन्यास के कथानक पर बात की जाय तो मेरी राय में यह एक पठनीय उपन्यास है। कहानी का नायक आशीष गौतम 'खबरदार' अखबार में चीफ रिपोर्टर है। कहानी एक स्थापित ढर्रे पर चलती प्रतीत होती है। फिर भी संतोष जी शुरू से ही इसमें रोचकता बनाये रखने में कामयाब रहे हैं।

अगर हम उपन्यास को पूर्ण रूप से देखें तो एक मनोरंजक उपन्यास संतोष पाठक जी ने प्रस्तुत किया है जिसे उनके पाठक भरपूर पसंद करेंगे । 

 

Friday, August 28, 2020

Killing Aashish Karve: Salil Desai ( AN inspector Saralkar Mystery)

Name of Novel: Killing Ashish Karve

Name of Author: Salil Desai ( AN inspector Saralkar Mystery)

Name of Publisher: FingerPrint ( An imprint of Prkash Book Depot)

Total Number of Pages : 260

MRP: 199/-

ISBN Number: 978-81-7234-531-0

" Ramakant Karve patted his grandson's shoulder and stroked his cheek gently. He had lost his own father when he had been almost as old as this child, and a feeling of overwhelming grief overcame him. He didn't remember feeling or understanding anything at that age. The sense of loss had come a year or two later, and had only grown with every passing year, right into his twenties - some thing he had never been able to share with anybody. But it had impacted his psyche deeply." ... Page 61

Killing Ashish Karve is a murder mystery written by Salil Desai. It is an Inspector Saralkar mystery. The first edition was published as The Body in the Back Seat by Gyaana Books in 2011. This edition is published by Fingerprint. Salil Desai is a pune base author. He is also linked to film industry as a film maker. His other books are Three and half murder, Sane Psychopath etc. 

Story Idea: K.A.K. is a cop story where Inspector Saralkar is entangled in a tricky murder mystery. This story starts from the misadventure of a car thief, Javed, who tries to steal a car. When he found that along with car, he has collected a dead body also, he abandons the car and flee away. Car remains stated their for a couple of days. People of that area complained about this car. Traffic police toes this car to police station where after some time this unclaimed dead body is discovered. It is the body of Ashish Karve. " If this is a joke, you have had it," Tapkir swore, and proceeded to look through the glass. Ashish Karve certainly didn't present a pretty sight after nearly three days at the bottom of the back seat.".... page no.21  

After getting a unclaimed body, Inspector Saralkar starts investigations. At first look, this case looks like a case of suicide attempt. Later on Inspector motkar starts investigation. During his investigation, he put lots of questions to the family members and colleagues of Ashish Karve. After the discovery of dead body of Ashish Karve, Inspector Saralkar narrows down his investigation on his business partner, wife and his brother. But his investigations do not get any conclusive results. During his investigation another murder occurs. Beautiful lady who is coworker of Ashish Karve found murdered in her apartment. The point of suspension also points to the the father of Ashish Karve who is an ex-army man. In the end, Saralkar solve the murder mystery amicably by observing a minute point when a local thief Javed get arrested.

My point of view: In my point of you, writer Salil Desai has produced sleek, interesting and beautifully written story. The characterization of Ashish Barve, Jaydeep karve, his business Associates, wife of Ashish karve is beautifully done. Even the son of Ashish Karve get his due space in this story in the middle story seems to be a bit slow where inspector motka does some question answers aur interviewed two different candidates but it is a demand of story if a storyteller necklace this point then there will be no clarity in further incidents of narration as a reader I enjoyed this book ok and it can be collected because in my point of view it is more than one time read you can revisit this book after sometime sofa my detailed point of you you can visit my YouTube channel book hub which is is connected to my block and a link is given below

Book Hubb: You Tube Channel

 


Rajender Singh Bedi: kokhjali (कोखजली)

राजेंद्र सिंह बेदी जी का जन्म 1 सितंबर 1915 को लाहौर में हुआ था। उनकी मातृभाषा पंजाबी लेकिन उनका संपूर्ण साहित्य उर्दू में था। वे अपने समय के उर्दू साहित्य में वे एक बडे़ प्रगतिशील कथाकार के रूप में उभर कर सामने आए। जीवन के प्रारंभिक दौर में वो डाक विभाग और डाक तार विभाग में क्लर्क के रूप में रहे और फिर 1958 में ऑल इंडिया रेडियो, जम्मू के डायरेक्टर बने। इसके बाद उन्होंने स्वतंत्र लेखन को पूर्णतया अपने जीवन में उतार लिया। 1955 में उन्होंने गरम कोट नामक एक कला फिल्म का निर्माण किया, जिस में मुख्य भूमिका विश्व प्रसिद्ध अभिनेता श्री बलराज साहनी और निरूपा राय ने निभाई थी। 1962 में उनके एक महत्वपूर्ण उपन्यास का प्रकाशन हुआ, जिसका नाम था एक चादर मैली सी। उन्हें इसी उपन्यास के लिए 1965 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था। सन 1984 में उनका निधन हो गया। उनकी मुख्य रचनाओं में 1962 में प्रकाशित एक चादर मैली सी, दाना हो आम 1938 में प्रकाशित हुई, ग्रहण 1941, अपना दुख मुझे दे दो 1965, हमारे हाथ कलम हुए 1974, बेजान चीजें 1943 एक नाटक संग्रह खेल 1981 में प्रकाशित हुआ। उर्दू में राजेंद्र सिंह बेदी जी का नाम अत्यंत सम्मान और आदर के साथ लिया जाता है। उनके साहित्य की जमीन बहुत गहरी है और उस पर फसल बहुत शानदार । उनकी कहानियों में जो सच्चाई हमें मिलती हैं, वह जिंदगी को मात्र जी लेने से नहीं बल्कि जिंदगी को तलाशने से संभव हो पाती है। राजेंद्र सिंह बेदी जी की कहानियां किसी बने बनाए सांचे में ढली हुई नहीं है ना ही उनके अंदर कोई बुद्धिजीवी किशन का पूर्वाग्रह है उनकी कहानियां जिंदगी के अलग अलग से गुजरती हुई जिंदगी की बेशुमार नगीने इकट्ठे करती हुई चलती हैं और एक सजीव दुनिया हमारे आंखों के सामने रूबरू करवा देती हैं । ऐसे ही एक कहानी का नाम है कोखजली जो एक मां की ममता और उसकी पराकाष्ठा के बारे में बताती है। यदि आप इस कहानी को सुनना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर जाएं और इस कहानी का आनंद उठाएं।

Book hubb : Rajender Singh Bedi


Tuesday, June 9, 2020

The New Girl : Daniel Silva : Book Review

Name of Novel: The New Girl 
Name of Writer: Daniel Silva
Publisher : Harpercollins Publishers
Price of Book : 399/- MRP
Number of Pages: 478
ISBN: 978-0-00-833639-4
Year of Publishing:2019
Amazon Link :The New Girl By Daniel Silva

 'A world-class practitioner of spy fiction.' ( Washington Post)



Daniel Silva
Daniel Silva



Daniel Silva is one of the best selling authors and number one New York Times best selling author who first marked his impression in 1997 with his novel The Unlikely Spy. From 2001, he started a new series with his novel The Kill Artist. This series is Gabriel Allon Series . The New Girl is the 19th novel of this series and the latest of the series. This novel is sub-divided into five parts-- Abduction, Abdication, Absolution, Assassination and Vengeance.

                                  What's done cannot be undone.---- Macbeth

Abduction......The New Girl is the latest offering of Daniel Silva which involves Gabriel Allon, who is an artistic curator and chief of Israeli investigating agency. The novel start with the introduction of  a mysterious girl twelve year old girl Jihan Tantawi in International School of Geneva. His father is Adnan Tantawi is mysterious billionaire who supposed to own half of the Cairo. But despite all of concealment and secrecy this girl Jihan got kidnapped. This event lead to a multinational saga of deceit and conflict between different international investigating agency. In this part, three main protagonists are introduced. Sarah Bancroft and Gabriel Allon are main characters and a mystery unfolds as Girl who is kidnaped is Reema who is Daughter of none other than KBM i.e. Crowned Prince of Saudi Arab Khalid bin Mohammed bin Abdulaziz Al Saud. After that Daniel Silva weaves a plot which have various angles of Middle East politics, Brexit and assassination of a International Correspondent Omar Nawwaf. After meeting KBM where Sarah plays an important role to arrange a meeting, Gabriel entangles himself into a multinational and multi layered plot.

Abdication....... is the part two. Here the plot of novel thickens and pick up its race. As the heading of the part indicates that what is going to happen in the life of crowned prince Khalid bin Mohammed. His detractors plan was beyond the imagination of Gabriel but KBM pays a price of his policies and end of this section is quiet sensational and unpredictable.

Absolution ...... is third part where story takes a new leap after abdication which involves intelligence agencies of Britain, France, Russia and Gabriel Allon of Israel. This is intricately woven segment which have moves and countermoves of hawks of their field. This chapter introduces Hanifa Khoury, wife of slained reporter Ommar, Rebecca Bettencourt and a lot of others.. here a plan is laid and that is assassination. 

Assassination ..... is fourth segment which I can say is highly engrossing for readers at least true for me. A mission which is plotted to checkmate Gabriel Allon but he is a master of his own field . Here, I prefer not to elaborate this segment further.

Vengeance ..... is the final part of novel where Gabriel Allon is in full command of events which ultimately expose the men behind the whole mission. Here the title new girl is justified but it is not for Reema, the daughter of KBM.

First of all, I must confess that The New Girl is first novel of Daniel Silva which I Happened to read and it is latest of Gabriel Allon series. Why I am saying this ? Because it was difficult for a new reader to get hooked to story as some characters like Sarah, Mikhail, Rousseau etc are in continuity. So, it took some time get engaged in this story but if you stick to go through the first part then events get you involved and you do not feel an outsider. As Daniel Silva is a international best seller but story build up seems to un event full after the kidnap of Reema. About more than hundred pages are used just to describe the movement of its characters from one place to another place where it is very difficult to stay focussed by reader.

My View:

 In my view, Daniel Silva has delivered a complete package which may be lethargic in beginning but  in the end you feel satisfied and do not regret of this book. If you are ardent fan of him, then definitely you may enjoy more as you stay with plot.


The New Girl is complete in its term but Daniel Silva has left the ending somewhat open. As he has announced his new novel "The Order" which is going to be released in mid of July.

My Rating: ★★★★/★★★★★

the new girl Daniel Silva
The New Girl




Saturday, June 6, 2020

Strip Jack: Ian Rankin: Book Review


Name of the Novel: Strip Jack
Name of Author: Ian Rankin
Publisher: Orion Books Ltd.
Published in : 1992
Pages: 290
ISBN: 0-75287-723-2
Amazon link : Strip Jack by Ian Rankin


Ian Rankin

"But no, it was worse than that. Much worse. It was an ordinary bed room, albeit with red lightbulbs in its several lamps.  And in an ordinary bed lay an ordinary enough looking woman, her elbow pressed into the pillow, head resting at an angle on her clenched fist.  And on that bed, dressed and staring at the floor, sat someone Rebus recognized; the Member of Parliament for north and south Esk" ……  (Page 7)

STORY: -

Strip jack is an intense novel written by Ian Rankin. It is fourth novel in the John Rebus series. Like previous plots, this story is also set up in Edinburgh.

Story starts with a raid on a brothel where a local Member of Parliament, Gregor Jack, caught or found in the premises of brothel.  When much-loved politician Gregor Jack is discovered in a midnight raid on a discreet brothel, a surprising number of journalists are on hand--a situation that endangers Jack's political future.  

Rebus has a sympathetic view towards Jack. In his view, he was victim of a conspiracy which is designed to strip him naked in the society without any power and image. In the mean time, a dead body of a woman found in the river and a suspect, William Glass, under police suspicion and Rebus under pressure from his superiors to accept a homeless derelict as the killer of a woman found in the river. There are too many unanswered questions for Rebus. Like B why was he at that particular brothel at that particular time? And why was the press on the scene practically at the same time as the police? Rebus is an experienced cop who knows the  ways of the politicians and the criminals. For him, there are too many questions and too few answers.


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Ian Rankin's Strip Jack

Jack ‘s personal life with his wife Elizabeth is in sticky situation after his brothel episode. Rebus wants to meet her to know about her reactions and mental state but she is found dead.  Her body is soon pulled from a nearby river, a fatality resembling the recent murder of another, unidentified woman. A drunk who brags of the first killing gives a false address and vanishes north of the city. From here, a saga of investigations unravels where many sub plots are intricately woven with main plot. Rebus comes to know about ‘The Pack’ which is group of young friends of Jack and Elizabeth. Each character is now settled in the society in different manners, be it a movie star, transporter or a mental patient. Meanwhile Rebus, trying to trace a cache of valuable stolen books, finds himself talking again to the late Elizabeth's coterie of party friends.

Rankin has been able to create a realistic world in which his weary protagonist operates. He tackles his cases while involved in the intricacies of the day-to-day life: pints, coffee and hangovers, stumbling romance with patience (his girlfriend), wet weather, damp clothes, arrogant superiors and indifferent subordinates. “After all of his stubbornness and failure of judgments, Rebus closes in on the satisfying solution. Then, the idea of a quick bath appealed. He looked into the kitchen first, and saw that Mrs. Wilkie was busy at the stove, humming to herself. So he headed for the bathroom. There was no lock on the door. Or rather, there was a lock, but half of it was hanging loose” … (page 123)

MY VIEW: -

Since it is my first meeting with John Rebus, my views may contrasting to the others.  Beginning of the story is very interesting.  The first meeting between MP Jack and Rebus was able to generate interest for the future. But after that when rebus investigate about the stolen books or antique books, story become somewhat slow. The story doesn't begin with the murder and it happens in due course of the plot and till then, you only had Rebus wandering, casually talking to the MP who caught, was investigating in a case regarding stolen books and all these also gave time for the author to bring out the character of Patience Aitken.

 The plot was amazing in the begining, moving across several places in Scotland, several characters with different occupation, different background and personality but somehow all of them were connected to the case in some way or the other but at the same time I felt that the number of characters were too many which made the reader hard to hold grip on the events and may  lose track of it. It had nearly everything in it, an enthusiastic, slave-driving police detective with dull superiors and a troubled relationship, a politician in trouble with his associates trying their best to protect him and of course, a very good mystery supported with interesting investigations carried out by the police. But in the end, as a reader I am surprised of the outcome of the result. I can confess that after reading Daniel Silva’s international political and spy drama, Rebus adventures are far more rooted to ground and realistic. 

If you are interested in realistic portrayals and pinch of suspense, than you can read the John Rebus adventures created by Ian Rankin.

My Rating : ★★★/★★★★★ (3/5)   

Book Hubb
Back Cover Strip Jack



Sholay: The Making of Classic : Anupama Chopra

Book : Sholay - The Making of Classic Written by: Anupma Chopra Publication : Penguin Random House Books, India Price : 299/- Pages : 194 IS...