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Wednesday, September 28, 2022

Janpriya Lekhak Om Parkash Sharma : Andhere ke Deep : A Novel

 

जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा : अंधेरे के दीप : एक प्रासंगिक व्यंग्य

उपन्यास : अंधेरे के दीप 

लेखक : जनप्रिय ओम प्रकाश शर्मा

प्रकाशक : नीलम जासूस कार्यालय, रोहिणी, दिल्ली - 110085

ISBN : 978-93-91411-89-3

पृष्ठ संख्या : 174

मूल्य : 200/-

आवरण सज्जा : सुबोध भारतीय ग्राफिक्स, दिल्ली  

AMAZON LINK :अँधेरे के दीप

अंधेरे के दीप

जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा मुख्यतः अपने जासूसी उपन्यासों और पात्रों के लिए जाने जाते हैं लेकिन उनके द्वारा कई ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यास भी लिखे गए हैं जिनकी विस्तृत चर्चा शायद किसी माध्यम या प्लेटफॉर्म पर नहीं हुई । पाठक वर्ग पर उनके जासूसी किरदारों का तिलिस्म इस कदर हावी हुआ कि उनके द्वारा रचा गया 'खालिस साहित्य' नैपथ्य में चला गया ।

नीलम जासूस कार्यालय द्वारा जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा जी के पुनःप्रकाशित उपन्यास 'अंधेरे के दीप' को 'सत्य-ओम श्रंखला' के अंतर्गत मुद्रित किया गया है । 'सत्य-ओम श्रंखला' को नीलम जासूस कार्यालय के संस्थापक स्वर्गीय सत्यपाल जी  और श्री ओम प्रकाश शर्मा जी की याद में शुरू किया गया है ।

लाला छदम्मी लाल 'अंधेरे के दीप' के नायक हैं या यू कहिए कि यह उपन्यास उनको केंद्रीय पात्र बनाकर लिखा गया है । अपने केंद्रीय पात्र के बारे में ओम प्रकाश शर्मा जी कुछ यूं लिखते हैं : 'उस कारीगर ने विषय वस्तु का तो ध्यान रखा लेकिन रूप के बारे में वह वर्तमान हिन्दी कवियों की भांति प्र्योगवादी ही रहा .... रंग के बारे में भी गड़बड़ रही । उस दिन जब कि लाला के ढांचे पर रोगन किया जाने वाला था, हिंदुस्तान के इन्सानों को रंगने वाला गेंहुआ पेन्ट आउट ऑफ स्टॉक हो चुका था ...कारीगर ने काला और थोड़ा सा बचा लाल मिलाकर 'डार्क ब्राउन' लाला पर फेर दिया । नौसखिये  प्र्योगवादी कलाकार के कारण हमारे गुलफाम हृदय सेठ जी के होंठ ऐसे हैं मानो किसी सुघड़ कुंवारी कन्या द्वारा छोटे - छोटे उपले थापे गए हों ।'

जैसा ऊपर विवरण दिया गया है उसके हिसाब से आप समझ सकते हैं कि ओम प्रकाश शर्मा जी ने प्रचलित मान्यता के विपरीत एक ऐसा पात्र गढ़ा है जो शारीरिक रूप से सुन्दर नायक की श्रेणी में किसी भी कसौटी के हिसाब से पूरा नहीं उतरता है । लेकिन अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान । जब धन्ना सेठ फकीरचंद के इस लाल को भरपूर दौलत मिली हो तो शारीरिक सुंदरता के सारे नुक्स ढक जाते हैं । एक कहावत हमने सुनी है कि लंगूर के पल्ले हूर । रंभा के साथ लाला छदम्मी लाल का परिणय सूत्र में बंधना भी एक प्रकार का सौदा ही था जिसे लाला फकीरचंद ने अंजाम दिया । अब लाला छदम्मी के पास रंभा के रूप में खजाना होते हुए भी 'अंधेरे के दीप' के नायक छदम्मी के हाथ फूटी कौड़ी नहीं ! 

इसी कहानी में लाला छदम्मी के किस्से के साथ नवाब नब्बन और मैना का किस्सा है । जिसमें शायराना तबीयत का नवाब मैना के लिए दलाल का काम करता है । घूरे गोसाईं और गूदड़मल के राजनीतिक दावपेंच हैं । सुंदरलाल भी मौजूद है जो नाम के अनुरूप है पर है कड़का । प्रेम नाम का एक आदर्शवादी पात्र भी है जो नब्बन को वह इज्जत देता है जिसका वह स्वयं को पात्र नहीं समझता है । 

इस कहानी में ओम प्रकाश शर्मा जी ने राजनीति का बड़ा चुटीला और व्यंग्यात्मक विश्लेषण किया है ।एक पाठक के रूप में यह उपन्यास पढ़कर मैं अपने आप को चकित और मंत्रमुग्ध पाता हूँ । इसका एक कारण है इसके प्रासंगिकता । गूदड़मल  और गोसाईं के राजनीतिक दावपेंच आपको कहीं से भी पुराने नहीं लगेंगे । मुझे ऐसा लगा जैसे वे आज हो रही घटनाओं का सटीक विवरण लिख रहें हैं । स्वामी घसीटानन्द का प्रकरण इस बात का सुंदर उदाहरण है । जैसी उखाडपछाड़ जनसंघ और काँग्रेस में पूँजीपतियों को अपने वश में करने के लिए लगातार चलती रहती है उसका भी बड़ा चुटीला वर्णन किया गया है ।

समाज की बहुत बड़ी विद्रूपता 'अंधेरे के दीप' में दिखाई गई है। जो लोग समाज के अग्रणी लोग समझे जाते हैं, वे और उनका तबका किस हद तक नैतिक पतन का शिकार हो चुका है, यह हम सब जानते हैं । आए दिन की अखबार की सुर्खियाँ यह बताने के लिए काफी हैं । रंभा और लाला छ्द्दम्मी उनका प्रतिनिधित्व करते है । जो लोग समाज में दबे हुए है, नैतिकता और समाजिकता का सरोकार भी उन्हीं लोगों को है । मैना और नवाब नब्बन अपने तमाम कार्यों के बाद भी  रंभा और सुंदरलाल के मुकाबले उजले ही प्रतीत होते हैं ।

ओमप्रकाश शर्मा जी की भाषा एक अलग ही आयाम लिए हुए है । कसी हुई, कभी चुभती हुई और कभी गुदगुदाती हुई । ओम प्रकाश शर्मा जी के साहित्य के इंद्रधनुषी रंगों में से एक अलग ही रंग मुझे 'अंधेरे के दीप' में दिखा जो 'रुक जाओ निशा' की गंभीरता से अलग और 'प्रलय की साँझ' की ऐतिहासिकता से अलग है । यह रंग है व्यंग्य के बाणों का ।

मेरी नजर में यह उपन्यास कल भी सफल रहा होगा और आज भी प्रासंगिक है । जो समय की छाप शर्मा जी के कई जासूसी उपन्यासों पर नजर आती है उससे यह उपन्यास अछूता रहा है । अगर कुछ समय के लिए अपने वर्तमान को साथ लेकर अतीत में जाना चाहते हैं तो 'अंधेरे के दीप' अच्छी पसंद हो सकता है जिसमें जिस दिये की लौ अधिक है वह उतना ही काले धुएँ से ग्रसित है और जिस दिये के लौ टिमटिमा रही है वह उतना ही अधिक प्रकाशमान ।

और अंत में दो पंक्तियाँ उपन्यास के मुख्य पृष्ठ के बारे में... अवतार सिंह सन्धू पंजाब के इंकलाबी कवि हुए हैं जिन्हें 'पाश' के नाम से मकबूलियत हासिल हैं और आतंकवाद के दौर में उनकी आवाज को बन्दूक की गोली से शान्त कर दिया गया था। उनकी शख्शियत यानी चित्र को मुख्यपृष्ठ पर इस्तेमाल करना मुझे अखरा। मेरे ख्याल से यह उस क्रांतिकारी कवि के सम्मान में उचित नहीं है।

जितेन्द्र नाथ 

जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा 

 

Saturday, December 25, 2021

Janpriya Lekhak Om Parkash Sharma: Ruk Jao Nisha

 

रुक जाओ निशा : एक पाठक की प्रतिक्रिया

उपन्यास : रुक जाओ निशा

लेखक : जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा

उपन्यास विधा : सामाजिक

प्रकाशक : नीलम जासूस कार्यालय, रोहिणी, सेक्टर-8, नई दिल्ली

पृष्ठ : 212

MRP: 225/-

जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा 

25 दिसंबर, 1924 को जन्में श्री ओम प्रकाश शर्मा जी उपन्यास जगत में जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा के नाम से जाने जाते हैं । उन्हें अपने समय में जो प्रसिद्धि मिली, वह उनके द्वारा रचे गए विराट साहित्य का ही परिणाम थी और वह आज भी यथावत है । तथाकथित साहित्य मनीषियों द्वारा उनको लुगदी साहित्य या आज के लोकप्रिय साहित्य की परिधि में बांध देने का प्रयास उनके द्वारा रचे गए कथा संसार के परिप्रेक्ष्य में कहीं से भी न्यायोचित या तर्कसंगत नहीं हैं । उनके द्वारा रचित चार सौ से अधिक उपन्यासों का विविध संसार उनकी गौरवशाली साहित्य यात्रा की गवाही देता है ।

आज के परिवेश में उपन्यास पढ़ने और पढ़ाने की परंपरा अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए, मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से सर्वसुलभ हो चुके मायाजाल से, निर्णायक संघर्ष के दौर में पहुँच चुकी है । इस दौर में सर्वश्री ओम प्रकाश शर्मा, वेद प्रकाश कम्बोज, गुरुदत्त, रोशन लाल सुरीरवाला, कुमार कश्यप जैसे मूर्धन्य साहित्यकारों के अनुपलब्ध हो चुके उपन्यासों को पुनःप्रकाशित करने का बीड़ा नीलम जासूस कार्यालय ने उठाया है । ओमप्रकाश शर्मा जी के अनुपलब्ध उपन्यास नीलम जासूस कार्यालय के प्रयासों से पाठकों को उपलब्ध होने लगे हैं जिससे पाठकों की नई पीढ़ी उनके रचनाकर्म से भली-भांति परिचित हो सके । इसी कारण मैं भी उनके उपन्यासों के संसर्ग का लाभ उठा रहा हूँ ।

लोकप्रिय साहित्य में श्री ओम प्रकाश शर्मा जी ने कुछ ऐसे किरदारों की रचना की है जो पाठकों में बहुत लोकप्रिय रहे जैसे जगत, गोपली, चक्रम, बंदूक सिंह इत्यादि । हालांकि उनके अधिकतर उपन्यास जासूसी क्षेत्र में  रहस्य और रोमांच का मनमोहक  जाल बुनते हैं जिसमें पाठक एक अलग ही दुनिया में पहुँच जाते हैं लेकिन ओम प्रकाश शर्मा जी के ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यास भी उसी ठोस धरातल पर खड़े नजर आते हैं जिसकी बुनियाद आचार्यचतुरसेन शास्त्री, शरत चंदर या बंकिम चंदर के उपन्यासों द्वारा रखी गई थी । मेरा ऐसा कहना कुछ उपन्यास प्रेमियों को अतिशयोक्ति पूर्ण लग सकता है परंतु जब हम प्रिया, धड़कनें, भाभी, एक रात, पी कहाँ और रुक जाओ निशा को पढ़ते हैं तो हमें पाठक के रूप में उनके सामाजिक सरोकारों से साक्षात्कार करवाते उपन्यासों के विविध कथा-संसार के दर्शन होते हैं ।

उनके सामाजिक उपन्यासों में तत्कालीन सामाजिक परिवेश का सुंदर चित्रण देखने को मिलता है । रुक जाओ निशा को जब मैं पढ़ रहा था तो मैं यकीन ही नहीं कर सका कि मैं शरत चंदर जी को पढ़ रहा हूँ या ओम प्रकाश शर्मा जी को । रुक जाओ निशा का घटनाक्रम सत्तर-अस्सी के दशक में घटित होता है जिसकी पृष्ठभूमि में बंगाली परिवेश के सामाजिक सरोकारों को दर्शाया गया है ।


रुक जाओ निशा 

रुक जाओ निशा की कहानी निशा नाम की युवती के इर्दगिर्द घूमती है, जो बीए पास है और उसके माता- पिता मोहनकान्त भादुड़ी और रजनी का देहांत हो चुका है । उसके बड़े भाई निशिकांत पर उसकी परवरिश का जिम्मा है । निशा की मुलाकात अमित सान्याल से होती है जिसकी परिणति उनके विवाह में होती है । दुर्भाग्य से अमित एक जानलेवा बीमारी का शिकार होकर कालकवलित हो जाता है और निशा का जीवन एक अंधकार से भर जाता है ।

अमित की कंपनी का मैनेजर प्रथमेश सावंत एक प्रगतिशील सोच का व्यक्ति है जो निशा को अमित की जगह नौकरी देना चाहता है । इस प्रकरण में ओम प्रकाश शर्मा जी ने संस्कृति के नाम पर फैली रूढ़िवादिता और लालच पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया है जब पंचानन घोष अनिल से सवाल करते है ... “क्या कहते हो अनिल ! तुम्हारा चलन क्या संसार से अलग है ? क्या बेचारी बहू की जिंदगी खराब करोगे।” इस प्रश्न के उत्तर में अनिल कहता है, “काका, जाति नियम भी तो होता है माँ पंद्रह साल से काशी में है । क्या गाँव की और विधवायें भी काशी गई है ?”

ससुराल से परित्यक्त होकर, संस्कृति की आड़ में और संस्कारों के नाम पर अमित के परिवार से उसे काशीवास पर भेज दिया जाता है । अमित का मित्र परमानंद चटर्जी भी उसी ट्रेन में कलकत्ता से वाराणसी जा रहा होता है जिसमें निशा को तीन सौ रुपए देकर सवार करवाया जाता है । परम निराश्रय निशा को अपने घर लेकर जाता है जहां उसकी विधवा माँ सुखदा निशा को अपनी शरण में ले लेती है ।

रुक जाओ निशा में इसके बाद वाराणसी में उस समय फैली सामाजिक कुरीतियों पर विस्तार से चिंतन और मनन किया गया है । सुखदा और परम जहां प्रगतिशील सोच का प्रतिनिधित्व करते है वही ढोंगी आनंद स्वामी और कालीपद चटर्जी रूढ़िवादिता के पक्षधर हैं । सीआईडी इंस्पेक्टर के रूप में लटकन महाराज निशा की जिंदगी में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करते है । लेडी सब-इंस्पेक्टर प्रभा के सहयोग से लटकन महाराज, काशीवास की जिद पर अड़ी निशा को, वाराणसी के  घाटों पर फैले व्यभिचार से अवगत करवाते हैं ।

ओम प्रकाश शर्मा जी ने जहां पर नायिका के रूप में अपनी जिंदगी से विमुख हो चुकी निशा का पात्र गढ़ा है जो मानसिक रूप से सामाजिक रूढ़ियों के प्रति आत्मसमर्पण कर चुकी है, वहीं सुखदा, प्रभा मिश्रा, प्रिया, सुचित्रा, अर्चना श्रीवास्तव के रूप में ऐसे किरदार गढ़ें हैं जिनके जीवन में हुई उथल-पुथल सी निशा को जीवन के विविध पहलुओं को समझने में मदद मिलती है ।

रुक जाओ निशा में ओम प्रकाश शर्मा जी ने विधवा पुनर्विवाह के लिए धर्म और आस्था में जारी कशमकश का बड़ा संतुलित विवेचन किया है । इस उपन्यास में अपनी सुविधा और उपभोग के लिए धार्मिक मान्यताओं और रूढ़िवादी विचारधारा के उपयोग और आमजन को उसपर चलने की बाध्यताओं का पुरजोर विरोध किया गया है । उपन्यास के अंत में निशा अपने जीवन से अंधकार का खात्मा कर एक नए रास्ते पर चलने का निर्णय लेती है या नहीं, यही प्रश्न परम के लिए एक यक्षप्रश्न के रूप में उपस्थित होता है जिसका उत्तर उसे तब मिलता है जब वह नायिका को कहता है रुक जाओ निशा ...

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

 समीक्षक : जितेंद्र नाथ

प्रकाशित रचनाएँ: राख़ (उपन्यास), पैसा ये पैसा (अनुवाद), खाली हाथ (अनुवाद), मौन किनारे एवं आईना (कविता संग्रह)            

    नोट : यह समीक्षा नीलम जासूस कार्यालय द्वारा प्रकाशित तहक़ीक़ात पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है 

 

Friday, February 12, 2021

Om Parkash Sharma Novel's list

जनप्रिय लेखक ओम प्रकाश शर्मा जी के द्वारा लिखे गए उपन्यासों की सूची:
आप उनके उपन्यास www.omparkashsharma.com पर जाकर भी पढ़ सकते हैं।
1 - अंजाम खुदा जाने 
‌2 - अंधेर नगरी  
‌3 - अँधेरे का रहस्य 
‌4 - अँधेरी रात की चीखें
‌5 - अँधेरे के दीप
‌6 - अपना अपना प्यार 
‌7 - अपने देश का अजनबी 
‌8 - अपने देश में 
‌9 - अपराध बोलता है 
‌10 - अभागी की डायरी 
‌11 - अभिनेता का खून 
‌12 - अम्बापुर काण्ड 
‌13 - अमरीकी साज़िश 
‌14 - अरब सागर के लुटेरे 
‌15 - आंसू नहीं मुस्कान
‌16 - आखिरी दाँव (जय पराजय सीरीज)
‌17 - आग से मत खेलो 
‌18 - आगे भी अँधेरा पीछे भी अँधेरा 
‌19 - आज के डकैत 
‌20 - आदमखोर 
‌21 - आदमखोर जानवर 
‌22 - आदमी का जहर 
‌23 - आधी रात के बाद 
‌24 - आधी रात के सौदागर 
‌25 - ऑपरेशन कालभैरव 
‌      आस्तीन का पिशाच 
‌26 - इंटरनेशनल जगत 
‌27 - इंसानी बस्ती के भेड़िये  
‌28 - इधर रहमान उधर बेईमान
‌29 - उंगलियों के  सौदागर 
‌30 - उड़न तश्तरी 
‌31 - उस रात का चमत्कार 
‌32 - ए 54 की वापसी 
‌33 - एक इन्सान दो चेहरे 
‌34 - एक और तीन तेरह 
‌35 - एक और षड़यंत्र 
‌36 - एक खजाना चार सांप 
‌37 - एक तीर दो शिकार 
‌38 - एक नवाब पन्द्रह चोर 
‌39 - एक अपराध कितने अपराधी 
‌40 - एक अफसर की मौत 
‌41 - एक और विषकन्या 
‌42 - एक गोली तीन चीख 
‌43 - एक जिद्दी लड़की 
‌44 - एक दिन की मौत 
‌45 - एक नार अलबेली सी (सुहाग की साँझ)
‌46 - एक रात
‌47 - एक रात का मेहमान 
‌48 - एक रात तीन हत्या 
‌49 - एक लाश तीन हत्यारे 
‌50 - एक लाश तीन टुकड़े 
‌51 - एमरजेंसी 
‌52 - ऐसा भी होता है 
‌53 - औरतों का शिकार 
‌54 - कंचनगढ़ की सराय 
‌55 - कंवारी रात का सपना
‌56 - क्लब में हत्या 
‌57 - क्या बहार आयेगी 
‌58 - क्या वह खूनी था?
‌59 - कटे हुए सिर 
‌60 - कफ़न चोर 
‌61 - कब्रिस्तान की चीखें 
‌62 - कब्रिस्तान का रहस्य 
‌63 - कब्रिस्तान का षड़यंत्र 
‌64 - कम्पाला का कैदी 
‌65 - कमालपुर में चमत्कार 
‌66 - क़यामत के दिन 
‌67 - करोड़पति की हत्या 
‌68 - कलियुगी जासूस जगन 
‌69 - कातिल चेहरे 
‌70 - कांपते हाथ 
‌71 - कान्ता 
‌72 - कानून क्या कर लेगा 
‌73 - कानून की लड़ाई 
‌74 - काबुल का कब्रिस्तान 
‌75 - काल कोठरी 
‌76 - काली कब्र 
‌77 - काली बिल्ली 
‌78 - किले की रानी 
‌79 - किस्सा एक खानदानी हवेली का 
‌80 - किले में भटकती आत्मा 
‌81 - कितना बड़ा झूठ 
‌82 - कुलदेवी का रहस्य 
‌83 - केसरीगढ़ की काली रात 
‌84 - कोठे वाली की हत्या
‌85 - खजाने का खूनी  नक्शा ​
‌86 - खतरनाक खेल 
‌87 - खतरे की घन्टी 
‌88 - खूनी औरत भयानक मर्द 
‌89 - खून का रिश्ता 
‌90 - खून की दस बूंदें 
‌91 - खून के सौदागर 
‌92 - खूनी की खोज 
‌93 - खूनी कौन
‌94 - खूनी जासूस 
‌95 - खूनी तांत्रिक 
‌96 - खूनी नर्तकी 
‌97 - खूनी दौलत 
‌98 - खूनी पुल 
‌99 - खूनी मीनार 
‌100 - खूनी साजिश 
‌101 - खूनी सुन्दरी 
‌102 - खूनी वारदात
‌103 - गगन द्वीप 
‌104 - गजनी का सुल्तान 
‌105 - गुंडा राज 
‌106 - गुप्त खजाना 
‌107 - गोपाली की वापसी 
‌108 - गोपाली दुश्मनों के जाल में 
‌109 - गुलामों का देश 
‌110 - घिनौना समाज 
‌111 - चकमक का किला
‌112 - चक्रम गायब 
‌113 - चक्रम डाकुओं के  चक्कर में 
‌114 - चमकती बिजली तड़पती मौत 
‌115 - चम्पाकली 
‌116 - चम्पा के फूल (सेज के फूल जले)
‌117 - चम्पापुर का डाक बंगला (डाकबंगले में प्रेत)
‌118 - चमेली (हत्यारा सेठ)
‌119 - चलती फिरती लाश 
‌120 - चिड़ी का इक्का 
‌121 - चित्रकार की प्रेमिका 
‌122 - चीखती लाशें 
‌123 - चीते वाली युवती 
‌124 - चुनौती (वासना के पुजारी)
‌125 - छावनी में विस्फोट 
‌126 - छोटी बेगम 
‌127 - छोटी मछली बड़ी मछली 
‌128 - छुपे चेहरे 
‌129 - छुपा रुस्तम 
‌130 - ज्वालामुखी द्वीप का देवता 
‌131 - जंगल की ज्वाला 
‌132 - जंगली शेर 
‌133 - जंगल का फ़रिश्ता 
‌134 - जंगल का मकबरा 
‌135 - जलता हुआ समुद्र 
‌136 - जगत और काहिरा का जादूगर
‌137 - ​जगत गायब ​
‌138 - जगत और खूनी सुल्तान 
‌139 - जगत और तांत्रिक 
‌140 - जगत और तीन जुआरी 
‌141 - जगत बांग्लादेश में 
‌142 - जगत लन्दन में 
‌143 - जगत और समुद्री पिशाच 
‌144 - जगन गंगा की बाढ़ में 
‌145 - जगत (शैतान की घाटी)
‌146 - जगत अफ्रीका में 
‌147 - जगत अमेरिकन जासूस के फंदे में 
‌148 - जगत और जादूगरनी 
‌149 - जगत और खूनी वैज्ञानिक 
‌150 - जगत की इस्ताम्बुल यात्रा 
‌151 - जगत की पाकिस्तान यात्रा 
‌152 - जगत की भारत यात्रा  
‌153 - जगत की वियतनाम यात्रा 
‌154 - जगत खतरे में 
‌155 - जगत मौत के घेरे में 
‌156 - जगत का प्रतिशोध 
‌157 - जगत का इन्साफ
‌158 - ​जगत और जंगली शैतान ​
‌159 - जगत और चम्पा डकैत 
‌          जगत और जालसाज 
‌160 - जय और पराजय 
‌161 - जादूगर जमाल पाशा 
‌162 - जादूगरनी 
‌163 - जादूगर का प्रेत 
‌164 - जादूगर कामरान 
‌165 - जादूगर भुवन 
‌166 - जालसाज 
‌167 - जुआघर की नर्तकी (जगत जुआघर में)
‌168 - जिन्दा लाश 
‌169 - जिंदगी या मौत 
‌170 - जीवित प्रेत 
‌171 - जुल्म और नहीं 
‌172 - जेल में षड़यंत्र 
‌173 - झांसी रोड 
‌174 - ट्रांसमीटर की खोज 
‌175 - टाइम बम 
‌176 - टापू का कैदी 
‌177 - टार्जन का ​गुप्त ​खजाना 
‌178 - ट्रेन में लाश 
‌179 - ट्रेन डकैती के अपराधी 
‌180 - ठग और सुंदरी 
‌181 - डाकबंगले में प्रेत
‌182 - डाक्टर प्रेत 
‌183 - डायन
‌184 - ​​डाकू की बेटी ​
‌185 - ढाई किलोमीटर दूर 
‌186 - ढाकवन की डकैती 
‌187 - ढोल की पोल
‌188 - तालाब में लाश 
‌189 - ताश के तीन पत्ते 
‌190 - तिरछी नजर 
‌191 - तीन गायब 
‌192 - तीन नागिन + हेम्बू का मसीहा 
‌193 - तीन शैतान 
‌194 - तीसरे महायुद्ध का अपराधी 
‌195 - तुम्हारी कसम 
‌196 - तूफान आने वाला है 
‌197 - तूफान की रात 
‌198 - तूफान के बाद (मौत का तूफान)
‌199 - ​तूफान फिर आया 
‌200 - थाईलैंड में जगत 
‌201 - दांव पेच  (सफ़ेद अपराधी)
‌202 - दिल के आर पार (​राजेश तारा के ​प्रेम पत्र )
‌203 - दुखियारी की प्रीत 
‌204 - दुश्मन के देश में 
‌205 - दूसरा ताजमहल 
‌206 - देशद्रोही वैज्ञानिक 
‌207 - देशद्रोही वैज्ञानिक की वापसी 
‌208 - देश के दुश्मन 
‌209 - दो जिंदगी 
‌210 - दो प्रेत 
‌211 - दौलत और पाप 
‌212 - दौलत के दीवाने 
‌213 - धडकनें 
‌214 - नए शिकारी 
‌215 - नकाब के पीछे 
‌216 - नजाकत बेगम 
‌217 - नयनतारा 
‌218 - नया जाल पुराने शिकारी 
‌219 - नया संसार 
‌220 - नरभक्षी 
‌221 - निर्दोष खूनी  (अम्बापुर काण्ड)
‌222 - निषेध पथ 
‌223 - नीली घोड़ी का सवार 
‌224 - नीली छतरी 
‌225 - नीली ज्योति का रहस्य 
‌226 - नी​ले ​पर्वत 
‌227 - नीली साड़ी वाली लड़की 
‌228 - नूपुर के गीत (रुनझुन पायल बाजे)
‌229 - नूरजहाँ का नेकलेस 
‌230 - नूरबाई 
‌231 - नूरबानो का प्रेत 
‌232 - ​पर्दे के आगे ​पर्दे के पीछे 
‌233 - पहली पराजय
‌234 - ​​प्यार का संसार  (स्नेह दीप) ​
‌235 - पत्रकार की हत्या 
‌236 - प्रलय की सांझ
‌237 - पांच करोड़ का हीरा 
‌238 - पांचवी बहू 
‌239 - पागल वैज्ञानिक 
‌240 - पाप और छाया 
‌241 - पाप की गली 
‌242 - पाप की परछाई 
‌243 - पापी धर्मात्मा 
‌244 - पिशाच और केबरे डांसर 
‌245 - पिशाच सुंदरी 
‌246 - पिशाच सुंदरी की वापसी 
‌247 - पिंजरे का कैदी 
‌248 - प्रिया 
‌249 - पी कहाँ 
‌250 - पीली हवेली 
‌251 - पुजारी की हत्या 
‌252 - प्रेत की छाया 
‌253 - प्रेत की प्रेमिका 
‌254 - प्रेम पत्रों का षड़यंत्र 
‌255 - प्रेतों की दुनिया 
‌256 - पेशावर एक्सप्रेस 
‌257 - प्रेतात्मा की गवाही 
‌258 - पुराने शिकारी नया जाल 
‌259 - प्रोफेसर गगन 
‌          प्यार और पाप 
‌           प्यार का बंधन टुटे ना
‌260 - फ़रिश्ते की मौत 
‌261 - फ़रिश्ता और शैतान 
‌262 - फिरौती पांच करोड़ 
‌263 - बंदरगाह पर खून 
‌264 - बंद दरवाजे के पीछे 
‌265 - ब्लैक स्ट्रीट 
‌266 - बदला 
‌267 - बदले की आग 
‌268 - बाबा विलियम और तीन लड़कियां 
‌269 - बिकाऊ है खरीदार चाहिए 
‌270 - बेगम गुलनार का प्रेमी 
‌271 - बेगम का खजाना 
‌272 - बेनकाब कातिल 
‌273 - बैरिस्टर का प्रेत 
‌274 - भयानक कैदी 
‌275 - भयानक प्रतिशोध 
‌276 - भयंकर जाल 
‌277 - भाभी 
‌278 - भाग्य की शिकार 
‌279 - भीगी रात 
‌280 - भुवन कश्मीर में
‌281 - भुवन मौत की घाटी में
‌282 - भूतनाथ की वापसी 
‌283 - भूतनाथ लखनऊ में 
‌284 - भूतनाथ नई दिल्ली में 
‌285 - भूतनाथ की संसार यात्रा 
‌286 - भुवन और समुद्र की रानी 
‌287 - मंगोल सुंदरी 
‌288 - मकड़ी की सुरंग 
‌289 - मगरमच्छ का शिकार 
‌290 - मठ का रहस्य 
‌291 -  महल में डकैती 
‌292 - महल में प्रेत 
‌293 - महाकाल वन की डकैत
‌294 - महामाया की मूर्ति 
‌295 - महारानी एक्सप्रेस 
‌296 - माधवपुर हत्याकांड 
‌297 - माधुरी 
‌298 - मिस ग्रे कूपर 
‌299 - मुर्दे की अदालत 
‌300 - मुर्दे की अंगूठी 
‌301 - मुर्दों का महल 
‌302 - मुरझाये फूल फिर खिले 
‌303 - मुराद महल 
‌304 - मूर्ति की चोरी 
‌305 - मेजर अली रजा की डायरी 
‌306 - मैडम कलकत्ता  
‌307 - मैडम सुमित्रा 
‌308 - मोतियों की चोरी 
‌309 - मौत एक अजनबी की
‌310 - ​मौत की कोठरी +(होटल रंगशाला/ बदनाम होटल)​
‌311 - मौत का निशान (शैतानों का देश) ​?​
‌312 - मौत की घाटी 
‌313 - मौत की परछाइयां 
‌314 - मौत की मंजिल 
‌315 - मौत के बादल 
‌316 - मौत का बिजनेस 
‌317 - मौत बुलाती है 
‌318 - मौत का अँधेरा 
‌319 - मौत ​की धमकी ​
‌320 - मौत का त्रिशूल 
‌321 - यह आम रास्ता नहीं है 
‌322 - रंगकोट का रेस्ट हाउस 
‌323 - रति मंदिर का रहस्य 
‌324 - रहस्य 
‌325 - रहस्य की एक रात 
‌326 - रहस्यमय वैज्ञानिक 
‌327 - रहस्यमयी 
‌328 - राजगुरु 
‌329 - राजमहल का षड़यंत्र 
‌330 - राजा साहब की वसीयत 
‌331 - राजेश तारा के प्रेम पत्र 
‌332 - रात अँधेरी थी 
‌333 - रात की रानी 
‌334 - रात के अँधेरे में 
‌335 - राधा पैलेस हत्याकाण्ड 
‌336 - रानी महालक्ष्मी 
‌337 - रानी नागिन 
‌338 - राहुल राजपुरुष 
‌339 - रावजी गढ़ी का खजाना 
‌340 - रूपमहल का कैदी 
‌341 - रेगिस्तानी डाकू
‌342 - ​रुक जाओ निशा ​
‌343 - लखनऊ हत्याकाण्ड 
‌344 - लखनवी जासूस 
‌345 - लापता लाश 
‌346 - लापता हवाई जहाज 
‌347 - लाल सिग्नल 
‌348 - लाशों के व्यापारी 
‌349 - लूट सके तो लूट 
‌350 - लेडी शिकागो 
‌351 - वसीयतनामे की खोज 
‌352 - वसीयतनामे का मुकदमा 
‌353 - वह भयानक रात 
‌354 - वह पाकिस्तानी जासूस थी 
‌355 - वासना के पुजारी 
‌356 - विक्रमकोट में षड़यंत्र 
‌357 - विचित्र मानव 
‌358 - विधायक की हत्या 
‌359 - विषकन्य360 - विष किरण 
‌361 - वेश्या का कातिल 
‌362 - वेश्या का खून 
‌363 - वैरागी नाले का रहस्य 
‌364 - वैरागी का खजाना 
‌365 - वो लजाये मेरे सवाल पर 
‌366 - शंघाई की सुन्दरी 
‌367 - शमशान में संघर्ष 
‌368 - शह और मात 
‌369 - शहजादी गुलबदन 
‌370 - शिकारी का प्रेत 
‌371 - शिकारी पिंजरे में
‌372 - शैतान की कब्र 
‌373 - शैतान का शिकंजा 
‌374 - शैतान वैज्ञानिक 
‌375 - शैतानों ​का देश ​
‌376 - शैतान की घाटी 
‌377 - षड़यंत्र चक्र 
‌378 - सफ़र के साथी 
‌379 - सफ़ेद पिशाच 
‌380 - सबसे बड़ा झूंठ 
‌381 - सबसे बड़ा पाप 
‌382 - सभ्य हत्यारा 
‌383 - समाज के कलंक 
‌384 - समुद्र में नर्क 
‌385 - समुद्री सौदागर 
‌386 - स्काउट कैंप में हंगामा 
‌387 - स्मगलर की लड़की 
‌388 - स्नेह दीप 
‌389 - स्वर्ग नर्क 
‌390 - सांझ हुई घर आये 
‌391 - सांझ का सूरज 
‌392 - सांप और सुन्दरी 
‌393 - सांप और सीढ़ी 
‌394 - सात खूनी 
‌395 - सात लाशें 
‌396 - सी आई ए का जाल 
‌397 - सुनहरे बाल नीली आंखें 
‌398 - सुंदरवन में षड़यंत्र 
‌399 - सुधाकर हत्याकांड 
‌400 - सुल्तान नादिर खां 
‌401 - सुहाग की सांझ 
‌402 - सैक्शन नम्बर 3 
‌403 - ​ सोना और सागर 
‌404 - हत्यारा सेठ 
‌405 - हत्या या आत्महत्या 
‌406 - हत्यारे की प्रेमिका 
‌407 - हत्यारे का नाम नहीं होता 
‌408 - हिज हाइनेस की हत्या 
‌409 - हिमालय की आग 
‌410 - हेम्बू का मसीहा 
‌411 - होटल की नर्तकी 
      412 - होटल में एक रात 
‌413 - होटल में डकैती 
‌414 - होटल रंगशाला

Tumhara Namvar : Namvar Singh

पुस्तक: तुम्हारा नामवर लेखक: नामवर सिंह संपादन: आशीष त्रिपाठी प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली आचार्य राम चन्द्र शुक्ल, राम विलास शर्मा, म...