पुस्तक: तुम्हारा नामवर
लेखक: नामवर सिंह
संपादन: आशीष त्रिपाठी
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
आचार्य राम चन्द्र शुक्ल, राम विलास शर्मा, मैनेजर पाण्डेय और नामवर सिंह।
हिंदी साहित्य की पगडंडियों पर आप चलते हैं तो इन नामों से आप जरूर सरोकार रखते होंगे। किसी जमाने में दूरदर्शन को हमने बेशक इडियट बॉक्स का नाम दिया होगा लेकिन आज के युग के स्मार्ट tv के सामने मुझे तो समझदार लगता है। उस पर प्रसारित होने वाले प्रोग्रामों के जरिये लोग उस वक्त के साहित्यकारों को सहज ही जान जाते थे।
कमलेश्वर उस वक्त tv पर बड़ा जाना पहचाना चेहरा थे।उन्ही के किसी प्रोग्राम में नामवर सिंह को देखा था। अपनी वेशभूषा और नाम की वजह से वे तब से याद हैं। साहित्य आलोचना को नामवर सिंह जी ने एक नया आयाम दिया। उनके जाने के बाद उनके काम को समझना भी एक अनुभव है।
उनकी इस पुस्तक 'तुम्हारा नामवर' में उनके लिखे पत्र हैं जो समय-समय पर विभिन्न सहित्यकार बंधुओं को लिखे गए हैं। उन संवादों को पढ़ना उस वक्त के इतिहास का साक्षी होना है।
राजकमल प्रकाशन ने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। पुस्तक तीन खंडों में विभाजित है।
पहले खंड में परिजनों से,
दूसते खंड में साहित्यकारों से
और तीसरे खंड में श्री नारायण पाण्डे को लिखे पत्र हैं।
विस्तार से फिर किसी पोस्ट में...
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Tumhara Namvar |