Sunday, December 25, 2022
Chausar : Jitender Nath : Reviews
Monday, November 1, 2021
Aaina: A Review by Sh. Dev Dutt Dev
आईना: काव्य संग्रह
लेखक: जितेन्द्र नाथ
प्रकाशन: समदर्शी प्रकाशन, मेरठ
समीक्षा: श्री देव दत्त 'देव'
आईना: जितेन्द्रनाथ |
"मुक्त छंद कविताएं ,मुक्तक ,गीत और ग़ज़ल की शक्ल में ढलती गीतिकाओं से सुसज्जित 'आईना' काव्य संग्रह सचमुच में समाज का आईना है जिसमें वर्तमान समाज का प्रतिबिंब उभरकर सामने आता है जो कवि कर्म की गरिमा को रेखांकित करता है तथा संग्रह में चिंतन की अनेक धाराओं के माध्यम से रचनाकार ने अपने चिंतन के फलक की विशालता और उसकी प्रौढता को सफलता पूर्वक अभिव्यक्ति प्रदान की हैं, मानव मन का विश्लेषण और सामाजिक विसंगतियों को व्यंजित करता काव्य संग्रह आईना केवल पाठक को बांधता ही नहीं अपितु चिंतन के लिए बाध्य भी करता है यह सब रचनाकार के कौशल का प्रतिफल है कवि ने चारों ओर घटित प्रत्येक घटनाक्रम का सूक्ष्म अवलोकन के उपरांत ही अनुभूति को अभिव्यक्ति प्रदान की है रचनाकार निरंतर बढ़ती भौतिकता के दुष्प्रभाव से भलीभांति परिचित है भौतिकता की चमक दमक ने हमारी परंपरागत जीवन शैली को प्रभावित किया है जिसके कारण घुटन सी महसूस होती है इसलिए कवि भौतिकता के उजाले से दूर हटकर अंतहीन दौड़ धूप से परे शांति पूर्वक जीवन व्यतीत करने का पक्षधर है-
परवाज छोड़ परिंदे शजरों पर जा बैठे
अंधेरों से नहीं ये उजालों के सताए हुए हैं
समाज में निरंतर बढ़ती संवेदन शून्यता के कारण संवेदनशील रचनाकार का चिंतित होना स्वाभाविक है आए दिन हर मोड़ पर ऐसी घटनाएं देखने और सुनने को खूब मिलती हैं जो सभ्य समाज के लिए कोई शुभ संकेत नहीं हैं इन्हीं के कारण समाज का स्वरूप रुग्ण हुआ है कवि ने समाज में निरंतर बढ़ती रुग्णता को भी प्रभावशाली ढंग से रेखांकित किया है
जिंदा था तो कितने फासले थे दरमियां
मौत आई तो सब कितने करीब लगते हैं
भौतिकता के प्रभाव के कारण बड़ी
स्पर्धा और स्पर्धा के अतिरेक के कारण ईर्ष्या भाव का बढ़ना और दूसरों को मिटाने की सोचना दुर्भाग्यपूर्ण चिंतन है ऐसी स्थिति में कविवर स्नेह समरसता और सौहार्द को बल देने के उद्देश्य से संगठित होने की बात करता है ताकि समतामूलक सिद्धांत को स्थापित किया जा सके
उंगलियां काट कर सब बराबर करने निकले हैं
बंद मुट्ठी में भी एक बात है यह बात कौन करे
संक्षेप में बहुत ही प्रभावशाली और उत्तम सृजन के लिए मैं बंधुवर जितेंद्रनाथ को इस उम्मीद के साथ हार्दिक बधाई देता हूँ कि निरंतर साहित्य साधना करते हुए साहित्य को समृद्ध करने में अविस्मरणीय योगदान देते रहेंगे।
अनंत शुभकामनाएं
देवदत्त देव
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
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देव दत्त 'देव'जी |
Friday, May 7, 2021
Raakh: The Ash Trail : Jitender Nath
- सड़क किनारे मिले एक "जली लाश" से कहानी की शुरुआत होती है । इंस्पेक्टर रणवीर की हिस्से कातिल की पहचान का जिम्मा आता है । उसके बाद शुरू होता है ,एक बेहद दिलचस्प थ्रिलिंग अनुभव । बिल्कुल नए जमाने का इन्वेस्टीगेशन । एक के बाद एक कत्ल ।
Sunday, February 14, 2021
Paisa ye paisa : Review by Aman Singh
Paisa ye Paisa : Translation of James Headley Chase Novel The Sucker Punch
Review By Aman Singh
आपकी समीक्षा और प्रोत्साहन के लिए के लिए तहेदिल से शुक्रिया Aman Singh जी।
पैसा ये पैसा...सूरज पॉकेट बुक्स और अमेज़न पर पेपरबैक/ebook फॉरमेट में उपलब्ध
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पुस्तक की भूमिका का अंश :- अपनी बीच-हट की खुली खिड़की से, चैट मंद-मंद लहरों पर उफनते झाग और धूप में दूर तक बिखरी हुई तपती सुनहरी रेत को देख सकता था। उसकी दाईं ओर दूर पहाड़ी थी, जिस पर वह बल खाती सड़क थी जिससे लेरी को आना था। बीच-हट में बहुत गर्मी थी। बिजली का पंखा लगातार फरफरा रहा था और चैड के दमकते हुए चेहरे पर हवा फेंक रहा था। उसने अपना कोट उतार दिया और बाँहे ऊपर चढ़ा ली। उसके ताकतवर और मजबूत हाथ मेज पर टिके हुए थे और सिगरेट उपेक्षित-सी उंगलियों में सुलग रही थी।
पुस्तक:- पैसा ये पैसा
जेम्स हेडली चेइज़ के प्रसिद्ध उपन्यास 'सकर पंच' का हिंदी अनुवाद
अनुवाद:- श्री जितेंद्र नाथ जी
प्रकाशन:- सूरज पॉकेट बुक्स, ठाणे
संस्करण:- अगस्त 2020 (प्रथम)
पृष्ठ:- 226
मूल्य:- 200 रुपये (पेपरबैक)
पुस्तक के कवर से :- एक खूबसूरत औरत की चाहत चैट विंटर को कुछ ऐसा करने के लिए प्रेरित करती है जो उसके हिसाब से एक परफेक्ट मर्डर था। हालांकि मर्डर करना कितना आसान होता है उसे छिपाना उतना ही मुश्किल...
पुस्तक पर मेरे निजी विचार:- मेरे अपने मत में आदरणीय श्री जितेंद्र नाथ जी ने जेम्स हेडली चेइज़ के उपन्यास सकर पंच का बेहद ही शानदार हिंदी अनुवाद किया है। जहां एक ओर यह पुस्तक बाहर से देखने में आकर्षित लगती है तो वहीं दूसरी ओर इसको पढ़ने में भी हमें ठीक वैसे ही आकर्षण प्रतीत होता है। बिल्कुल सटीक शब्दों और स्पष्ट भाषा शैली की झलक साफतौर पर इस पुस्तक को पढ़ने पर देखी जा सकती है। जैसा कि इस पुस्तक के नाम से प्रतीत होता है वैसा ही इस पुस्तक में पैसा है, पैसे के लिए धोखा है और पैसे के लिए हत्या भी है। कुल मिलाकर यह पुस्तक खुद में अनगिनत रहस्यों का खज़ाना समेटे हुए हैं। मैं आदरणीय श्री जितेंद्र नाथ जी को इस पुस्तक के अनुवाद के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं व वही ईश्वर से उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना भी करता हूं। कुल मिलाकर मुझे तो यह पुस्तक बहुत ही अच्छी लगी। अगर आप भी थ्रिलर पढ़ने के शौकीन है तो इस पुस्तक को जरूर पढ़ें।
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