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Sunday, December 25, 2022

Chausar : Jitender Nath : Reviews

उपन्यास : चौसर- द गेम ऑफ डेथ
लेखक : जितेन्द्र नाथ
प्रकाशक : बूकेमिस्ट/सूरज पॉकेट बुक्स
अवेलेबल : Sooraj books link chausar
Amazon link चौसर
फ्लिपकार्ट link Chausar
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Reviews by Readers/Authors
चौसर - दि गेम ऑफ डेथ
जितेंद्र भाई का पहला उपन्यास राख पढ़ने के बाद से ही प्रतीक्षा थी उनकी अगली रचना की ,बल्कि उत्कंठा अधिक थी के क्या और कैसा कथानक लेकर आएंगे।
और फिर हाथ मे आया "चौसर " और 
जो पढ़ना शुरू किया तो राजनीति की बिसात पर बिछी रोचक और रोमांचक कहानी के बीच जिसमे जबरदस्त उतार चढ़ाव और तेज रफ्तार घटनाक्रम के बीच  कहानी में जहां राजनीति और औद्योगिक घरानों के बीच संबंधों और फिर उनसे पनपने वाले आतंक के रिश्तो की हकीकत से रूबरू करवाया उसके लिए निसंदेह आपने गजब का होमवर्क किया ।
          उपन्यास पढ़ते हुए कहानी के पात्र हमें हमारे देश काल और परिस्थितियों के अनुरूप ही लगते हैं जिनसे की पाठक तुरंत ही अपना तारतम्य स्थापित भी कर लेता है इससे कहानी में विश्वसनीयता के साथ-साथ पठनीयता का गुण भी  समावेश हो गया है । हालांकि कहानी का  ताना-बाना काफी घुमाव  लिए हुए हैं, लेकिन इन सब का समापन और उपसंहार  भी उतने ही सुघड़ , सुंदर और अच्छे तरीके से किया गया है , की उपन्यास अपनी छाप छोड़ जाता है ।
सच है आज भी हमारे देश कि जो हिफाजत सरहद पर हमारे सैनिक कर रहे हैं उनकी हमारे ही कुछ राजनेताओं को रत्ती भर भी फिक्र नहीं है । वह तो अपनी ओछी  राजनीति में ही उलझे रहते हैं , परन्तु जैसे के  आपने लिखा " देश की रक्षा के लिए शहीद होना ही हर सैनिक का परम लक्ष्य होता है " बिल्कुल सटीक पंक्तियां है  जो कि दिल को भीतर तक छू जाती है और मन में एक ही आवाज गूंजती है --जय हिंद -जय भारत ।
वर्तमान में आ रहे विभिन्न उपन्यासों के बीच बिछी कहानियों की बिसात  पर आपका यह उपन्यास शत प्रतिशत विजयी घोषित होता है। बहुत-बहुत बधाई , और  आगामी रचना के लिए भी शुभकामनाएं , जो की उम्मीद है जल्दी हमारे पास आएगी।
21.12 2022
आपका प्रशंसक
विशाल भारद्वाज
पोस्ट मास्टर
प्रधान डाकघर
श्री गंगानगर -335001
राजस्थान
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
संजीव शर्मा जी, सीनियर एडवोकेट, पुणे की कलम से....                                                  चौसर by जितेंद्रनाथ
बहुत दिनों बाद ऐसी किताब पढ़ी, जिसने पहले पेज की पहली लाइन से ही कहानी में इंटरेस्ट जगा दिया जो अंत तक जारी रहा. कहानी की सबसे बड़ी खूबी कहानी के पात्रों का शानदार चरित्र चित्रण है, हर पात्र को बहुत ही खूबी से लिखा गया है जिसके कारण वो याद रहते हैं चाहे वो अभिजीत देवल, राजीव, सुधाकर, नैना, नागेश, यासिर खान, आलोक देसाई या फिर योगराज, बसंत पवार, दिलावर, अब्बासी हो या राहुल तात्या, सभी कैरेक्टर का चरित्र चित्रण बहुत बढ़िया तरीके से हुआ है, जिसके लिए जितेंद्रनाथ जी बधाई के पात्र हैं.
     कथानक जो आतंकवाद पर आधारित है जो बेहद कसा हुआ है और कहीं भी बोर नहीं करता है, एक्शन भी जबरदस्त है जो कहानी के अनुरूप है सस्पेंस भी अच्छा रहा, एक बेहद विस्तृत कथानक को इतनी आसानी से, अच्छी भाषा, अच्छे शब्दों में लिख कर जितेंद्रनाथ जी ने साबित किया कि उनमें एक सफल लेखक बनने के सभी गुण मौजूद हैं जो हम पाठकों का लंबे समय तक मनोरंजन करेंगे. 
    चौसर निसंदेह एक शानदार, जबरदस्त किताब है जो लंबे समय तक याद रहेगी.
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
हीरा वर्मा जी की कलम से...
उपन्यास : चौसर - द गेम ऑफ डेथ
लेखक : जितेंद्र नाथ सर जी
प्रकाशन : सूरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ संख्या : 279
मूल्य : 360₹

बुकेमिस्ट के द्वारा शानदार कवर डिजाइन और किताब का नाम किसी भी पाठक को अपनी ओर आकर्षित करने से रोक न पाएगी।

लेखक सर की ये तीसरी किताब पढ़ रहा हूँ मैं "चौसर - द गेम ऑफ डेथ"
इसके पहले पढ़ी थी "राख" जो उनके द्वारा लेखन पर पकड़ दर्शायी थी जो कामयाब भी रही

उसी से आकर्षित हो कर ये पढ़ने बैठा

One word : लाजवाब

 *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम...*
द हार्ट टचिंग लाइन
दीदार सिंह के लिए तो वाह वाह  ही है
आंखे नम कर गए साहब

क्यो ? ये पढ़ के जानिएगा

कहानी शुरू होती है "पर्ल रेसिडेंसी" के होटल से जहाँ "विस्टा टेक्नोलॉजी" के 15 लोग 7 दिन की कॉन्फ्रेंस के लिए आये थे जिन्हें "सिग्मा ट्रेवल्स" की बस अपडाउन करती थी होटल से ऑफिस।

सारे गायब

क्यो ?

का जवाब तो पढ़ के ही मिलेगा

संवाद ने जीवंत बनाये रखा है दृश्य को जेहन में क्योकि चौसर में हार जीत लगी होती है , वही यहां पुलिस की मुठभेड़ ने ताज होटल याद दिला दिया साहब

बोले इसे ले कर और पढ़ कर आप कतई न पछतायेंगे फुलटू पैसा वसूल उपन्यास है।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
[12/4, 5:23 PM] Jitender Nath: ('चौसर' एक शानदार उपन्यास ) 
जब मैं किसी उपन्यास को शानदार कहता हूं तो मेरे शब्दों में उसका अर्थ होता है कि उपन्यास की कहानी ने  एक समां बांध कर रख दिया, अंत वास्तव में बहुत अच्छा है, संवाद अच्छे हैं...
एक बानगी पढ़िए..
 (राजनीतिक एक चौसर का खेल है .........। जो खेल हम खेल रहे हैं वह हमारी जिंदगी की एक नई बाजी है । इस खेल में पासे चाहे कैसे भी पड़ें लेकिन हम लोगों को उम्मीद हमेशा जीत की होती है)
पुलिस की मुठभेड़ कई जगहों पर काफी जीवंत जान पड़ती है, मुठभेड़ के सारे सीन काफी मेहनत से लिखे गए हैं.... मजा आता है पढ़कर, 🥳🥳
जितेंद्र नाथ जी की यह रचना 'पैसा वसूल' है,
Deepankar Shashtri ji
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
मित्र एवं लेखक जितेन्द्र नाथ जी की “चौसर” पढ़ी गई । 📖
बहुत ख़ूब! इतने बड़े स्तर के कथानक को जिस सलीके के साथ (कम पृष्ठों में भी) पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है,काबिले तारीफ़ है । 🙏
पुनश्च- अंतिम पृष्ठों तक बाँधे रखने और आँखें नम कर देने वाले लेखन के लिए लेखक महोदय को बधाई । 🌹
आबिद बेग जी 👆
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
नोवल - चौसर
लेखक - जितेंद्र नाथ
प्रकाशक - सूरज पॉकेट बुक्स
समीक्षक - दिलशाद सिटी ऑफ इविल वाले


अभी अभी जितेंद्र नाथ जी की चौसर पढ़कर पूरी की। इससे पहले मैने उनकी राख पढ़ी जिसने शानदार छाप छोड़ी थी। राख में पुलिस कार्यप्रणाली का सजीव रूप प्रतीत हुआ। चलिए बात करते हैं चौसर की, जिसकी कहानी शुरू होती है होटल पर्ल रेसीडेंसी से, रिसेप्शन पर रात के साढ़े नो बजे फोन बजता है। उधर से एक व्यक्ति अपने बेटे के बारे में पूछता है की क्या मेरा बेटा होटल पहुंच गया। सुबह को ज्ञात होता है कि विष्टा टेक्नोलोजी के पंद्रह एंप्लॉज जो पर्ल रेसीडेंसी में ठहरे थे अभी तक नही आए। ड्राइवर सहित सभी एंप्लॉयज के नंबर बंद जा रहे थे। सूचना पुलिस को दी जाती है। सिग्मा ट्रेवलर्स के दफ्तर से बस की आखिरी लोकेशन का पता चलता है। बस को घेर लिया जाता है लेकिन उसमे अजनबी ड्राइवर निकलता है। अब सभी का दिमाग चकरा जाता है की सभी यात्री कहां गए और ड्राइवर क्यों बदला।
अगली सुबह एक नदी में एक एंप्लॉय की लाश मिलती है।  एक दृश्य में 26 ग्यारह की याद ताजा हो जाती है। जब आतंकवादी एक होटल में हतियारो को गरजाते हुए हुए घुसते हैं। बेहद ही लाइव दृश्य महसूस होता है। आपको नोवल में अनेकों सवाल मिलेंगे जैसे...
बस अपने गंतव्य तक क्यों नही पहुंची?
जो ड्राइवर पकड़ा गया था वह खाली बस लेकर क्यों जा रहा था?
क्या एम्प्लेयर्स मिल सके?
किसका हाथ था एंप्लायस के गायब कराने के पीछे?
कहानी एक्शन पैड है। देशभक्ति से लबरेज है। देश की सुरक्षा दांव पर लगी है। देश के वीर, जांबाज, जान को जोखिम में रखने वाले हीरो इस मिशन में कूद पड़ते हैं। जैसा कि बताया है कहानी एक्शन पैड, सस्पेंस और देशभक्ति समेटे हुए हैं तो दिमागी मनोरंजन की आशा न करें। कहीं कहीं डायलॉग शानदार और जबरदस्त हैं। देश की सुरक्षा के लिए हमारे वीर क्या कर गुजरते हैं इस नोवल में दिखाया गया है। किरदारों में सुधाकर नागेश धनंजय राय, राजीव जयराम, आलोक देसाई, नैना दलवी, शाहिद रिज्वी, नागेश कदम, मिलिंद राणे जैसे हीरो थे। लेखक ने शानदार मराठी भाषा का भी प्रयोग किया है। 
एक शानदार डायलॉग जब श्रीकांत सुधाकर से पूछता है, "कैसे हो अब तुम? ज्यादा चोटें तो नही आईं?
तब सुधाकर बुलंद आवाज में कहता है, "ये चोटें तो हमारे शरीर का गहना है सर। जितनी बढ़ेंगी उतना ही मजा आयेगा।"
विदा लेता हूं आपसे फिर मुलाकात होगी, जितंद्रनाथ जी को ढेरों शुभकामनाएं।
 दिलशाद अली
★★★★★★★ ★★★★★★★★★★★★★★★

श्री मनेंद्र त्रिपाठी की कलम से चौसर के बारे में राय। हार्दिक आभार आपका मनेंद्र जी 💐💐💐
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"राख" के बाद लेखक का दूसरा शानदार कारनामा । वैसे भी जहां राख होती है वहां संभावी अगला काम होता है "गर्दा उड़ना' । लेखनी के इस फेरहिस्त में शामिल है "चौसर" जो इस धारणा के "गर्दे" उड़ा देती है कि कोई उपन्यास क्या एक्शन थ्रिलर हो सकती है ? जी हां हो सकती है ।

एक्शन, जिसको सिर्फ बड़े परदे पर ही महसूस किया जा सकता है, इस मिथक को बड़े ही आसानी से लेखक साहब ने जब्त कर के निर्माण किया है "चौसर"का । इस उपन्यास को पढ़ने के बाद आप अपनी भुजाएं फड़कती हुई महसूस करें तो कोई ताज्जुब नहीं । थ्रिलर और एक्शन का अनुपम मिश्रण महसूस करने के लिए इस उपन्यास को पढ़ें ।

कहानी बिल्कुल फ्रेश है । एक कंपनी की एक गाड़ी जिसमे कंपनी के बहुत से कर्मचारी अपनी छुट्टियां बिताने,तफरीह के वास्ते सवार होते है । अगले दिन गाड़ी के साथ साथ सभी कर्मचारी 'अंतर्ध्यान ' हो जाते हैं । बस यही से शुरू होता है एक्शन पैक्ड रोमांच । उपन्यास के हर पेज पर आपके रोमांच की सीमा बढ़ती चली जायेगी । बस आपको एक काम करना है कि इस उपन्यास को ध्यान से पढ़ना है क्योंकि इस उपन्यास में पात्र चरित्र थोड़े ज्यादा है इसलिए आपको कहानी के साथ साथ चलना है । देशभक्ति, राजनीति, षड्यंत्र,मजबूरी,कूटीनिति, शठे शाठ्यम समाचरेत् ,आदि अनेक विधाओं से गुजरते हुए यह उपन्यास आपको नम आंखों के साथ बहुत कुछ सोचने समझने के लिए छोड़कर तृप्त कर देगा ।


अगर आप प्रचलित श्रेणी के थ्रिलर उपन्यासों से बेजार हो चुके हैं तो आपको मौका है अपने सारे हिसाब बराबर करने का , अभी पढ़ना शुरू कीजिए "चौसर" । उपन्यास समाप्त होते होते अपनी भुजाएं खुद ब खुद फडकती महसूस होंगी। उपन्यासों में 'ट्विस्ट ' खोजने वालों को इस उपन्यास के बाद चाह होगी सिर्फ और सिर्फ रोमांच की ।

लेखक महोदय को इस हाहाकारी शाहकार के लिए अनगिनत धन्यवाद । आपकी आगामी रचना के लिए अभी से इंतजार करता हुआ लेखक का  एक उन्मादी पाठक ।

Monday, November 1, 2021

Aaina: A Review by Sh. Dev Dutt Dev

 आईना: काव्य संग्रह

लेखक: जितेन्द्र नाथ

प्रकाशन: समदर्शी प्रकाशन, मेरठ

समीक्षा: श्री देव दत्त 'देव'

आईना: जितेन्द्रनाथ


"मुक्त छंद कविताएं ,मुक्तक ,गीत और ग़ज़ल की शक्ल में ढलती गीतिकाओं  से सुसज्जित 'आईना' काव्य संग्रह सचमुच में समाज का आईना है जिसमें वर्तमान समाज का प्रतिबिंब उभरकर सामने आता है जो कवि कर्म की गरिमा को रेखांकित करता है तथा संग्रह में चिंतन की अनेक धाराओं के माध्यम से रचनाकार ने अपने चिंतन के फलक की विशालता और उसकी प्रौढता को सफलता पूर्वक अभिव्यक्ति प्रदान की  हैं, मानव मन का विश्लेषण और सामाजिक विसंगतियों को व्यंजित करता काव्य संग्रह आईना केवल पाठक को बांधता ही नहीं अपितु चिंतन के लिए बाध्य भी करता है यह सब रचनाकार के कौशल का प्रतिफल है कवि ने चारों ओर घटित प्रत्येक घटनाक्रम का सूक्ष्म अवलोकन के उपरांत ही अनुभूति को अभिव्यक्ति प्रदान की है रचनाकार निरंतर बढ़ती भौतिकता के दुष्प्रभाव से भलीभांति परिचित है भौतिकता की चमक दमक ने हमारी परंपरागत जीवन शैली को प्रभावित किया है जिसके कारण घुटन सी महसूस होती है इसलिए कवि भौतिकता के उजाले से  दूर हटकर अंतहीन दौड़ धूप से परे शांति पूर्वक जीवन व्यतीत करने का पक्षधर है-

परवाज छोड़ परिंदे शजरों पर जा बैठे 

अंधेरों से नहीं ये उजालों के सताए हुए हैं

            समाज में निरंतर बढ़ती संवेदन शून्यता के कारण संवेदनशील रचनाकार का चिंतित होना स्वाभाविक है आए दिन हर मोड़ पर ऐसी घटनाएं देखने और सुनने को खूब मिलती हैं जो सभ्य समाज के लिए कोई शुभ संकेत नहीं हैं इन्हीं के कारण समाज का स्वरूप रुग्ण हुआ है कवि ने    समाज  में निरंतर बढ़ती  रुग्णता को भी प्रभावशाली ढंग से रेखांकित किया है

 जिंदा था तो कितने फासले थे दरमियां

 मौत आई तो सब कितने करीब लगते हैं 

         भौतिकता के प्रभाव के कारण बड़ी 

स्पर्धा और स्पर्धा के अतिरेक के कारण ईर्ष्या भाव का बढ़ना और दूसरों को मिटाने की सोचना दुर्भाग्यपूर्ण चिंतन है ऐसी स्थिति में कविवर स्नेह समरसता और सौहार्द को बल देने के उद्देश्य से संगठित होने की बात करता है ताकि समतामूलक सिद्धांत को स्थापित किया जा सके 

उंगलियां काट कर सब बराबर करने निकले हैं 

बंद मुट्ठी में भी एक बात है यह बात कौन करे 

         संक्षेप में बहुत ही प्रभावशाली और उत्तम सृजन के लिए मैं बंधुवर जितेंद्रनाथ को  इस उम्मीद के साथ हार्दिक बधाई  देता हूँ कि निरंतर साहित्य साधना करते हुए साहित्य को समृद्ध करने में अविस्मरणीय योगदान देते रहेंगे।

अनंत शुभकामनाएं

          देवदत्त देव

★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★

 आईना-काव्य संग्रह समदर्शी प्रकाशन, अमेज़न और flipkart पर उपलब्ध:

https://www.amazon.in/dp/B097Z1JHQN/ref=cm_sw_r_cp_apa_glt_fabc_Y22KJF47VN1GTVNVYAPC

और

https://www.flipkart.com/aaina/p/itmded014bc2f3dd?pid=9789390481811

देव दत्त 'देव'जी

Friday, May 7, 2021

Raakh: The Ash Trail : Jitender Nath

उपन्यास : राख  द ऐश ट्रेल
लेखक : जितेन्द्र नाथ
प्रकाशन : बूकेमिस्ट (सूरज पॉकेट बुक्स इंप्रिंट)
बुक कवर डिज़ाइन: निशांत मौर्य
प्रथम संस्करण: अप्रैल 2021
पृष्ठ संख्या : 216 
एडिशन : पेपरबैक
 संजय वर्मा जी की समीक्षा
★★★★★★★★★★★★★★★★
राख  द ऐश ट्रेल
लेखक – जितेन्द्र नाथ
प्रकाशन सूरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ संख्या 307
इस उपन्यास के लेखक ने इस के पहले जेम्स हेडली चेस के "सुकर पंच"  का हिंदी अनुवाद किया था जो सभी के द्वारा बेहद पसंद किया जा रहा है इसके बाद
यह लेखक का प्रथम उपन्यास है जो पढ़ने के बाद कही से नही लगता की यह प्रथम उपन्यास है क्योकि उपन्यास शुरू से अंत तक रोचक है और लेखक ने इसमें पाठकों के स्वाद का भरपूर ध्यान रखा है। और पाठकों को भी अपना दिमाग लगाने का भरपूर मौका मिलने वाला है।

कहानी की बात करे तो 
प्रेम नगर में एक ढाबे के पास बहुत बुरी जली हुई अवस्था मे एक आदमी की लाश मिलती है जिसकी शिनाख्त करना भी मुश्किल है  और इसके बाद इंस्पेक्टर रणवीर कालीरमण और उसका असिस्टेंट रोशन वर्मा इसकी इन्वेस्टीगेशन शुरू करते है । लेकिन कहानी में ट्विस्ट आता है जब इन्वेस्टिगेशन जैसे जैसे आगे बढ़ती है केस और उलझता जाता है और हत्याएं होना शुरू हो जाती है  जिसे सबूत के नाम पर  सिर्फ मात्र  ‘राख’  के सहारे इसको इंस्पेक्टर रणवीर सुलझाता है तो उसके सामने रहस्यमय खुलासे होते है।
उपन्यास में इन्वेस्टिगेशन कमाल की है जिसमे लेखक ने भरपूर मेहनत की है जिसे पाठक पढ़ेंगे तो स्वयं "दाद" दिए बिना नही रहेंगे।
एक उलझा हुआ और नया थ्रिलर कथानक जिसमे पाठकों को दिमागी खुराक मिलने वाली है ।
उपन्यास किंडल पर भी उपलब्ध है।
रेटिंग 4/5
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समीक्षा : नवनीश भट्टी जी 
राख  ...द ऐश ट्रेल
लेखक – जितेन्द्र नाथ जी
प्रकाशन ...सूरज पॉकेट बुक्स
पृष्ठ संख्या... 216

इस उपन्यास के लेखक ने इस के पहले जेम्स हेडली चेस के "The Sucker Punch" का हिंदी अनुवाद "पैसा ये पैसा "किया था जो सभी पाठकों द्वारा बेहद पसंद किया जा रहा है इसके बाद
यह लेखक का प्रथम उपन्यास है लेकिन उपन्यास पढ़ते समय आपको एक परिपक्व लेखन शेली की झलक मिलेगी उपन्यास पढ़ने के बाद कही से नही लगता की यह लेखक का प्रथम उपन्यास है क्योकि उपन्यास शुरू से अंत तक रोचक है और लेखक ने इसमें पाठकों के स्वाद का भरपूर ध्यान रखा है और उपन्यास पढऩे वालों को भी अपना दिमाग लगाने का भरपूर मौका मिलने वाला है।

उपन्यास की कहानी की बात करे तो ...
प्रेम नगर में एक ढाबे के पास बहुत बुरी जली हुई अवस्था मे एक आदमी की लाश मिलती है जिसकी शिनाख्त करना भी मुश्किल है  और इसके बाद इंस्पेक्टर रणवीर कालीरमण और उसका असिस्टेंट रोशन वर्मा इसकी इन्वेस्टीगेशन शुरू करते है । लेकिन कहानी में ट्विस्ट आता जब  ऐसी ही जली हुई एक और लाश मिलती है इन्वेस्टिगेशन जैसे जैसे आगे बढ़ती है केस और उलझता जाता है और हत्याएं होनी शुरू हो जाती है  जिसे सबूत के नाम पर  सिर्फ मात्र  ‘राख’  के सहारे इसको इंस्पेक्टर रणवीर सुलझाता है तो उसके सामने रहस्यमय खुलासे होते है।लेखक महोदय ने पुलिस की कार्य प्रणाली का इतना सटीक व सजीव वर्णन किया है जिस तरह का क्राइम फिक्शन लिखने वाले सिरमौर लेखक जनाब श्री SMP साहब के उपन्यासों मे मिलता है
उपन्यास अपने उद्देश्य में पूरी तरह से सफल रहा पाठकों को अंत तक पता नहीं चलता की कत्ल किस वजह से हो रहे है और कातिल कौन है उपन्यास का अंत रोचक और भावपूर्ण है । आगे लेखक महोदय से उम्मीद की जाती है कि  इंस्पेक्टर रणवीर और उसके साथी सहकर्मियों ,डॉक्टर नवनीत और पत्रकार वरुण से फिर मुलाकात होगी।
इस बेहतरीन रचना के लिए लेखक महोदय का दिल से आभार तथा भावी रचना की सफलता के लिए आग्रिम शुभकामनाएं । कृपया "शोरे गोगा" का रहस्य आगे जरूर खोलें ।यह उपन्यास किंडल पर भी उपलब्ध है।धन्यवाद आभार🌹🙏🏻
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श्री मनेंद्र त्रिपाठी जी की एक पुस्तक समूह जूनून पुस्तकों का, 
Jasusi novel sansar ( आज़ाद ग्रुप ) में शेयर की गई समीक्षा: 

- सड़क किनारे मिले एक "जली लाश" से कहानी की शुरुआत होती है । इंस्पेक्टर रणवीर की हिस्से कातिल की पहचान का जिम्मा आता है । उसके बाद शुरू होता है ,एक बेहद दिलचस्प थ्रिलिंग अनुभव । बिल्कुल नए जमाने का इन्वेस्टीगेशन । एक के बाद एक कत्ल ।

एक ऐसा उपन्यास जिसमे कत्ल होने वालों को मरते वक्त तक भी पता नहीं चलता कि उसे कौन मार रहा है और क्यों मार रहा है ।

माननीय जितेंद्र नाथ जी का यह पहला "उपन्यास " है , परंतु उनके इस उपन्यास को पढ़कर आप आश्चर्य में पढ़ जाएंगे । इस उपन्यास को आप सच्चे मायनों में असली मर्डर इन्वेस्टीगेशन उपन्यास बोल सकते हैं । सब कुछ वास्तविकता से भरा हुआ । पुलिस की कार्य प्रणाली का इतना सजीव वर्णन शायद ही इस से पहले किसी लेखक ने लिखा हो ।
रणवीर का एक अभियुक्त की गिरफ्तारी का वारंट के लिए जज के पास जाने वाला सीन कमाल का है । कहानी की रफ्तार अचानक से किसी मूवी जैसी हो जाती है । कई अद्भुत चरणों से गुजरते हुए  मूवी  की तरह ही क्लाइमेक्स आता है और पाठक चकित रह जाता है ।

उपन्यास अपने उद्देश्य में पूरी तरह से सफल रहा ।
इस बेहतरीन रचना के लिए लेखक महोदय का दिल से आभार तथा भावी रचना की सफलता के लिए एडवांस में बधाईयां । कृपया "शोरे गोगा" का रहस्य आगे जरूर खोलें । Jitender Nath जी🙏🌹👏
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 Raakh : The Ash Trail (Hindi Edition) by Jitender Nath
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Sooraj Books link:
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Sunday, February 14, 2021

Paisa ye paisa : Review by Aman Singh


 Paisa ye Paisa : Translation of James Headley Chase Novel The Sucker Punch

Review By Aman Singh

आपकी समीक्षा और प्रोत्साहन के लिए के लिए तहेदिल से शुक्रिया Aman Singh जी। 

पैसा ये पैसा...सूरज पॉकेट बुक्स और अमेज़न पर पेपरबैक/ebook फॉरमेट में उपलब्ध


https://www.amazon.in/dp/B08L1BCVYP/ref=cm_sw_r_wa_apa_JUNGFbP9045GA

या

https://www.soorajbooks.com/shop/

या

https://www.amazon.in/dp/9388094441/ref=cm_sw_r_cp_apa_i_gkRCFbTSXTQZM

पुस्तक की भूमिका का अंश :- अपनी बीच-हट की खुली खिड़की से, चैट मंद-मंद लहरों पर उफनते झाग और धूप में दूर तक बिखरी हुई तपती सुनहरी रेत को देख सकता था। उसकी दाईं ओर दूर पहाड़ी थी, जिस पर वह बल खाती सड़क थी जिससे लेरी को आना था। बीच-हट में बहुत गर्मी थी। बिजली का पंखा लगातार फरफरा रहा था और चैड के दमकते हुए चेहरे पर हवा फेंक रहा था। उसने अपना कोट उतार दिया और बाँहे ऊपर चढ़ा ली। उसके ताकतवर और मजबूत हाथ मेज पर टिके हुए थे और सिगरेट उपेक्षित-सी उंगलियों में सुलग रही थी। 


पुस्तक:- पैसा ये पैसा 

जेम्स हेडली चेइज़ के प्रसिद्ध उपन्यास 'सकर पंच' का हिंदी अनुवाद

अनुवाद:- श्री जितेंद्र नाथ जी

प्रकाशन:- सूरज पॉकेट बुक्स, ठाणे 

संस्करण:- अगस्त 2020 (प्रथम)

पृष्ठ:- 226

मूल्य:- 200 रुपये (पेपरबैक)


पुस्तक के कवर से :- एक खूबसूरत औरत की चाहत चैट विंटर को कुछ ऐसा करने के लिए प्रेरित करती है जो उसके हिसाब से एक परफेक्ट मर्डर था। हालांकि मर्डर करना कितना आसान होता है उसे छिपाना उतना ही मुश्किल...


पुस्तक पर मेरे निजी विचार:- मेरे अपने मत में आदरणीय श्री जितेंद्र नाथ जी ने जेम्स हेडली चेइज़ के उपन्यास सकर पंच का बेहद ही शानदार हिंदी अनुवाद किया है। जहां एक ओर यह पुस्तक बाहर से देखने में आकर्षित लगती है तो वहीं दूसरी ओर इसको पढ़ने में भी हमें ठीक वैसे ही आकर्षण प्रतीत होता है। बिल्कुल सटीक शब्दों और स्पष्ट भाषा शैली की झलक साफतौर पर इस पुस्तक को पढ़ने पर देखी जा सकती है। जैसा कि इस पुस्तक के नाम से प्रतीत होता है वैसा ही इस पुस्तक में पैसा है, पैसे के लिए धोखा है और पैसे के लिए हत्या भी है। कुल मिलाकर यह पुस्तक खुद में अनगिनत रहस्यों का खज़ाना समेटे हुए हैं। मैं आदरणीय श्री जितेंद्र नाथ जी को  इस पुस्तक के   अनुवाद के लिए  ढेर सारी  शुभकामनाएं देता हूं व वही  ईश्वर से उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना भी करता हूं। कुल मिलाकर मुझे तो यह पुस्तक बहुत ही अच्छी लगी। अगर आप भी थ्रिलर पढ़ने के शौकीन है तो इस पुस्तक को जरूर पढ़ें।

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Tumhara Namvar : Namvar Singh

पुस्तक: तुम्हारा नामवर लेखक: नामवर सिंह संपादन: आशीष त्रिपाठी प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली आचार्य राम चन्द्र शुक्ल, राम विलास शर्मा, म...