पुस्तक : गूंगा आसमान ( कहानी संग्रह)
प्रकाशक : वाग्देवी प्रकाशन, विनायक शिखर, पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास, बीकानेर
पुस्तक मूल्य : ₹120
पृष्ठ संख्या :160
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नासिरा शर्मा |
1. ख़ुशबू का रंग
इस कहानी में नायिका 'मैं ' के रूप में प्रस्तुत है और नायक 'तुम ' के रूप में उपस्थित है | दोनों का कोई नाम ना देकर भी नासिरा शर्मा ने दो प्रेमियों को जीवंत कर दिया है | नाम के नाम पर सिर्फ नायक की बहन शाहीन और नायक के पिता बाबा के रूप में उपस्थित हैं | इस कहानी में नासिरा शर्मा ने नायिका की मन स्थिति का बड़ा ही शानदार चित्रण किया है | कहानी की नायिका का नायक के प्रति आसक्त होना उनके माता-पिता के रजामंदी के खिलाफ है, लेकिन मां-बाप की परवरिश नायिका को अपना निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करती है | नायक एक विद्रोही विचारधारा के रूप में परिलक्षित हुआ है, जो हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने पर कैद में बंद है और पूरी कथा में इस विरह का चित्रण है | उदाहरण के तौर पर नायिका कहती है ....मोहब्बत का यह मौजूदा पुल जिस पर आज मैं तन्हा खड़ी हूं इसकी शुरुआत मेरी एक कहानी से हुई थी और यह कहानी हमारी दोस्ती के पुल की पहली निशानी थी / इस कहानी में वह सब कुछ है जो मैं इतने सहज भाव से उगल गई जिसे तुम राख में दबी चिंगारी की तरह दिमाग में छुपाए झटपट आते हुए सुबह का इंतजार कर रहे थे...
2. सरहद के इस पार
इस सकलन की दूसरी कहानी सरहद के इस पार है | इस कहानी का नायक रेहान है, जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है | उसके इस पागलपन की हालात के पीछे उसकी एक असफल मोहब्बत की दास्तान है, जिसमें वह सुरैया नाम की लड़की से मोहब्बत करता है | यहां रेहान अपनी मोहब्बत को अपनी बेरोजगारी की एवज में हार जाता है और उसका असर उसके दिमाग पर पड़ता है | रेहान की मानसिक विक्षिप्तता की हालत में नासिरा शर्मा ने आदमी की कुछ कमजोरियों पर प्रहार किया है जिसमें सांप्रदायिकता और औरत को लगातार दोयम दर्जे के अंदर बदलने की इच्छा का चित्रण है | कहानी के अंत में रेहान अपनी जान से हाथ धो बैठता है पर इस कहानी में दिखाया है कि रेहान पागल होकर अपने आपको बेशक भूल जाता है पर इंसानियत को नहीं भूलता | जिसकी मिसाल वह हिंदू लड़की को बचा कर देता है, जिसे उसके मोहल्ले के कुछ लोग पकड़ कर ले आते हैं और शायद वही अंत में उसकी मौत का कारण बनते हैं | हिंदू-मुस्लिम दंगों के ऊपर नासिरा शर्मा की यह पंक्तियां मुझे बड़ी पसंद आई... अंग्रेजों ने हमें फसाद की शक्ल में पाकिस्तान तो उसे में दिया है और हम उस जख्म को जब तक जिएंगे पालते रहेंगे करें भी क्या कर ही कुछ नहीं सकते हैं अपाहिज जो ठहरे (पेज नंबर 32) अंत में नासिर शरमा के द्वारा ये सवाल उठाना की क्या सुरैया घुन थी .. मोहब्बत के ऊपर एक कटाक्ष है |
मेरी राय:- खुश्बू का रंग एक मनोवैज्ञानिक रचना है जिसमें नायक का अस्तित्व सिर्फ उसकी यादों में है | नायक का चरित्र नायिका की यादों के सहारे ही गढा गया है | कहानी का ताना बाना इरान/ ईराक की परिस्थितियों में बुना गया है | ये कहानी स्वयं से संवाद (monologue) विधा में लिखी गई है जिसमें नायक की बहन अंत में नायिका से मिलती है |
दूसरी कहानी सरहद के इस पार में नायक रेहान अपनी मोहब्बत के चलते मानसिक संतुलन खो बैठता है लेकिन उसमें इंसानियत बाकी चरित्रों से ज्यादा है गोया कि होश में रहना आदमी को ज्यादा जालिम बना देता है | कहानी के अंत में रेहान का जान से चले जाना थोडा अखरा | नायिका विवाह के बाद उस पार है और इस पार रेहान के साथ क्या बीतती है इसी को सार्थक करता हुआ शीर्षक है सरहद के उस पार |
तीसरी कहानी गूंगा आसमान संग्रह की शीर्षक कहानी है और अपने अंदर एक स्त्री की साड़ी विवशताएँ और भावनाएं समेटे है | पुरुष सत्ता द्वारा लादी गई सारी बेड़ियों के बावजूद भी एक स्त्री के संघर्ष का दस्तावेज है गूंगा आसमान | मेहरअंगीज का फरशीद के साथ संघर्ष कोई उसका व्यक्तिगत संघर्ष नहीं है पर वह फरशीद द्वारा जबरन कैद की गई लड़कियों के लिए है | इस कहानी की पृष्ठभूमि भी ईराक / इरान के है पर मेहरअंगीज का संघर्ष सार्वभौमिक है |
नासिरा जी की कहानियों में भाव सम्प्रेष्ण का इतना सघन और इतनी तरलता से मौजूद है कि आप उसमें सहज भाव से कभी डूबने लगते हैं और कभी तैरते रहते है | उनके द्वारा प्रयुक्त भाषा व् प्रतिबिम्ब बरबस ही दिमाग में पैबस्त हो जाते हैं और दिल में उतर जाते हैं | उनकी कहानियाँ आत्मसात होने में वक्त लेती है और कई दिनों तक पाठक के आसपास तैरती रहती हैं | कम से कम मैं तो उनकी कहानियां लगातार नहीं पढ़ पाया पर इसका कारण यह है कि मैं पढना नहीं चाहता था क्योंकि उनके शब्द , भावनाएं और चरित्र कई देर तक आँखों के सामने साकार रहे और इसीलिए इस ब्लॉग में तीन ही कहानियों की चर्चा की है |
अगर आपने मेरी तरह इससे पहले नहीं पढ़ा है तो जरूर पढ़ें