Thursday, May 16, 2024

Mitti de tibbe song : kaka

 मिट्टी दे टिब्बे : गाँव की खुशबू , इश्क के जज़्बात और मिट्टी दे टिब्बे  

गाना : मिट्टी दे टिब्बे 

गायक : काका

गीतकार : काका

संगीतकार : काका

Mitti de Tibbe



'मिट्टी दे टिब्बे' पंजाबी पॉप सिंगर काका के द्वारा गाया गया नया गाना है । अपनी गाड़ी में एक दिन पंजाबी पॉप म्यूजिक की प्लेलिस्ट सुनते हुए अचानक यह गाना बज उठा । मध्यम सी बीट के साथ यह गाना स्टार्ट हुआ और मैं भी गाना सुनने लगा । मिट्टी दे टिब्बे दे सज्जे पासे ... काका की आवाज गाड़ी में गूंजने लगी । मुझे लगा जैसे कोई इश्क में डूबा हुआ आदमी मेरे पास आ बैठा है और मुझे यह गाना सुना रहा है । 

एक के बाद एक गीत की पंक्तियाँ कानों में उतरती चली गई । कोई भी पंक्ति दोबारा नहीं गाई गयी । जब तक दिमाग इस तरफ सक्रिय हुआ तब तक एक माहौल बन चुका था और मुझे ऐसा लगा जैसे मैं काके के साथ मिट्टी के टिब्बे पर बैठ कर यह गाना सुन रहा हूँ । पूरा गाना सुनने के बाद एक मुद्दत के बाद मैंने गाना फिर से सुना । अब की बार दिमाग के साथ दिल भी गाना सुन रहा था । पहले से ज्यादा आनंद आया ।

किसी गाने में किसी श्रोता को आखिर क्या चाहिए ? मेरे ख्याल से यह सुनने वाले के अलग-अलग मूढ़ पर निर्भर करता है । 

अगर आप किसी गाने में सुकून  ढूँढना चाहते हैं तो वह इस गाने में मौजूद है । 

अगर आप एक मधुर संगीत सुनना चाहते हैं तो वह इसमें मौजूद है । एक अरसे के बाद राइफला, दुनाली, दारू,जिप्सी, पैग-शेग की महिमा मंडन से हटकर कोई पंजाबी गाना सुनने को मिला है जिससे पंजाब की सौंधी मिट्टी की खुशबू आती है जैसी कभी पुराने जमाने में आशा सिंह मस्ताना के गानों में आती थी । 

'काली तेरी गुत ते प्रांदा तेरा लाल नी, रूप दिये रानिए तू प्रांदे नु संभाल नी...' 

मेरे ख्याल से आपको याद आ गया होगा । अब काके के गाने पर आते हैं । इस गाने की बहुत सी पंक्तियाँ हैं जो हमें पंजाब के उस ग्रामीण परिवेश में ले जाती है जिससे शायद वहाँ के लोग ही दूर होने लग गए हैं । 

'तू मेरे रस्ते नु तकदी ही रह गई, उब्बल के  चा तेरी चूल्हे च पाई गई ।

मेरा पता तेरी सहेली नु पता ए, तू तां कमलिए नी तकदी ही रह गई ।।

मिट्टी दे टिब्बे दे सज्जे पासे
टिब्बे नालो नाल नी
विच चरांडा दे भेड़ा जो चारे
बाबे तों पूछी मेरा हाल नी

सड़क वल्लीं तेरे कमरे दी खिड़की दी
तख्ती ते लिखेया ऐ ना मेरा
घोड़ी वेचि जिथे चाचे तेरे ने
ओही ऐ जाने ग्राम मेरा

कारखाने वाले मोड दे कोले

तांगा उडीके तू बोहड़ दे कोले

आजा कदे मेरी घोड़ी ते बह जा
प्यार नाल गल्ल प्यार दी कह जा

नींद ते चैन तां
पहला ही तू ले गई
जान ही रेहँदी ऐ आ वि तू लैजा

अखां विचो किन्ना बोलदी ऐ
चेहरे मेरे चो की टोहलदी ऐ
मेरे विचो तेनु ऐसा की दिखेया
के बाकी ऐने दिल रोलदी ऐ

बालण लेओनी ऐ जंगल चो आथण नु
नाल पक्की इक रखदी ऐ साथण नु
किक्कर दी टाहणी नु माण जा हुँदा ऐ
मोती दंदा नाल छुनी ऐ दातण नु

लक्क तेरे उत्ते जचदे बड़े
नेहरो दो भरदी पित्तल दे घड़े
शहरों पता कर के सेहरे दी कीमत
तेरे पीछे किन्ने फिरदे छडे

तूं तां चौबारे चो पर्दा हटाके

चोरी चोरी मेनू देखदी ऐ

यार मित्तर एक मेरे दा कहणा ऐ
नैणा नाल दिल छेकदी ऐ

अगले महीने मंदिर ते मेला ऐ
मेले दे दिन तेरा यार वि वेहला ऐ
गानी निशानी तेनु लैके देनी ऐ
अल्ले पल्ले मेरे चार कु धेला ऐ

देर क्यों लौनी ऐ जुगत लड़ा ले
मेनू सब्र नी तू काहली मचा ले
बुआ जा मास्सी जा चाची नु कहके
घर तेरे मेरी तू गल्ल चला ले

लिप्प के घर साढ़ा ननद तेरी ने
कंध उत्ते तेरा चेहरा बणाता
चेहरे दे नाल कोई काला जेहा वाह के
ओदे मथे उत्ते सहरा सजाता

पता लग्गा तेनु शौंक फुल्लां दा
फुल्लां दा राजा गुलाब ही ऐ
चार बीघे विच खुशबू उगौनि
हाले काके दा खाब ही ऐ

डोलां ते घुमदी दे साहां च घुल के
खुशबोआं खुश होण गिया
उड दा दुप्पट्टा देख के तेरा
कोयलां वि गाने गौण गिया

Wednesday, May 15, 2024

Goonga Aasman (गूंगा आसमान) : Nasira Sharma (नासिरा शर्मा)

 पुस्तक : गूंगा आसमान ( कहानी संग्रह) 

लेखिका : नासिरा शर्मा
प्रकाशक : वाग्देवी प्रकाशन, विनायक शिखर, पॉलिटेक्निक कॉलेज के पास, बीकानेर
पुस्तक मूल्य : ₹120
पृष्ठ संख्या :160
ISBN NO. 81-85127-87-5

नासिरा शर्मा
नासिरा शर्मा में कथा कहने की जन्मजात प्रतिभा दिखाई देती है। उनके पास अनुभव की कोई कमी नहीं है, अनुभूतियों का भंडार है। अपने पात्रों का गहरा विश्लेषण करने की क्षमता है। शैली बहुत रंवा -दवां, भाषा सरल, सुलभ, प्रवहमान है। उसमें काव्य का रस है ।          (उपेंद्रनाथ अश्क)

गूंगा आसमान  प्रख्यात लेखिका नासिरा शर्मा का चर्चित कथा संचयन है । जिसमें उनकी 12 कहानियां संकलित की गई है । जिसमें खुशबू का रंग, सरहद के इस पार, गूंगा आसमान, यहूदी सरगर्दान, जड़ें, काला सूरज, तीसरा मोर्चा, इमाम साहब, ततैया, मेरा घर कहां? नई हुकूमत और इंसानी नस्ल  कहानियाँ संकलित की गई हैं । इस ब्लॉग में कहानी संग्रह की तीन कहानियों की बात करूँगा क्योंकि सभी कहानियों पर एक ब्लॉग में चर्चा नहीं की जा सकती है |

1. ख़ुशबू का रंग 

संग्रह की पहली कहानी खुशबू का रंग सच में ही एक लड़की के मन में उभरते हुए विभिन्न रंगों की दास्तान है|नायिका के माध्यम से नासिरा शर्मा ने एक मोहब्बत से भरे दिल में तन्हाई बेबसी बेकसी इंतजार और जुदाई जैसे विभिन्न रंग अपनी लेखनी से मानो पन्नों पर बिखरा दिए हो | नायिका की अपने प्रेमी से बिछड़ने का दर्द निम्न पंक्तियां में बेहद उभरकर सामने आता है .... मगर मैं वही उसी तरह खड़ी हूं, तुम्हारे लौटने की कोई खबर मुझ तक नहीं पहुंचती है जबकि बेजुबान परिंदे बिना पुराने ठिकानों को भूले लौट रहे हैं ,यह घोसले दुरुस्त करेंगे और रहना शुरू कर देंगे, मगर मैं उसी तरह लुटी तन्हा सी तश्ना रह जाऊंगी । (पृष्ठ 7)

इस कहानी में नायिका 'मैं '  के रूप में प्रस्तुत है और नायक 'तुम '  के रूप में उपस्थित है | दोनों का कोई नाम ना देकर भी नासिरा शर्मा ने दो प्रेमियों को जीवंत कर दिया है | नाम के नाम पर सिर्फ नायक की बहन शाहीन और नायक के पिता बाबा के रूप में उपस्थित हैं | इस कहानी में नासिरा शर्मा ने नायिका की मन स्थिति  का बड़ा ही शानदार चित्रण किया है | कहानी की नायिका का नायक के प्रति आसक्त होना उनके माता-पिता के रजामंदी के खिलाफ है, लेकिन मां-बाप की परवरिश नायिका को अपना निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करती है | नायक एक विद्रोही विचारधारा के रूप में परिलक्षित हुआ है, जो हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने पर कैद में बंद है और पूरी कथा में इस विरह का चित्रण है | उदाहरण के तौर पर नायिका कहती है ....मोहब्बत का यह मौजूदा पुल जिस पर आज मैं तन्हा खड़ी हूं इसकी शुरुआत मेरी एक कहानी से हुई थी और यह कहानी हमारी दोस्ती के पुल की पहली निशानी थी इस कहानी में वह सब कुछ है जो मैं इतने सहज भाव से उगल गई जिसे तुम राख में दबी चिंगारी की तरह दिमाग में छुपाए झटपट आते हुए सुबह का इंतजार कर रहे थे... 

समय गुजरने के बाद नायक और नायिका के बीच में खतो-किताबत, जो उनके संपर्क का आखिरी सिलसिला था, वह भी बंद हो जाता है और उसे लगता है जैसे नायक अपने मुल्क के हुक्मरान की कैद में बंद है | नायक 10 साल से ज्यादा समय तक हुकूमत की कैद में है और नायिका उसका इंतजार करती है | फिर कुछ समय बाद नायक की बहन शाहीन का खत आता है जिसमें नायिका के लिए बुलावा है ..... तुम आ जाओ उसी कमरे में जिस की दीवारें मनुष्य ही हैं जिसकी छत पर जिंदगी की तरह है लुभावनी पर बुलावे जैसी रंग बिरंगी कंदील तंगी हैं जिसके कोने में किताबों से भरी मेज के पीछे रखी कुर्सी खाली है... कुर्सीका खाली होना इस बात का प्रतिबिंब है कि नायक अब इस दुनिया में नहीं है | अब सिर्फ उसके निशान बाकी हैं | नायिका नायक से तो नहीं मिल पाती लेकिन उसकी कब्र पर वह शाहीन और बाबा के साथ पहुंचती है .... और मैं इस तरह से तुम तक चलती गई जैसे मुझे तुम्हारे गले में जयमाला डालनी हो शर्म की जगह है मैं गम से निढाल आंसुओं के सैलाब को चीरती बढ़ रही थी तुमसे मेरी यह दूसरी मुलाकात थी तुम मनो मिट्टी के बोझ से दबे हुए थे और मैं बिना मरे ही अंधेरे में छटपटाती रही हूं.. नायक का अंतिम पत्र नायिका उसकी कब्र के पास बैठकर पढ़ती है .. इस घटना को कहानी का अंत समझकर उदास मत होना, अभी इस दास्तान को मंजिल तक पहुंचने के लिए बहुत रंग चाहिए ,जानती हो तुम्हें भी रंग भरना है इस दास्तान का सफर लंबा जरूर है मगर अंतहीन नहीं ।

2. सरहद के इस पार
इस सकलन की दूसरी कहानी सरहद के इस पार  है | इस कहानी का नायक रेहान है, जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है | उसके इस पागलपन की हालात के पीछे उसकी एक असफल मोहब्बत की दास्तान है, जिसमें वह सुरैया नाम की लड़की से मोहब्बत करता है | यहां रेहान अपनी मोहब्बत को अपनी बेरोजगारी की एवज में हार जाता है और उसका असर उसके दिमाग पर पड़ता है | रेहान की मानसिक विक्षिप्तता की हालत में नासिरा शर्मा ने आदमी की कुछ कमजोरियों पर प्रहार किया है जिसमें सांप्रदायिकता और औरत को लगातार दोयम दर्जे के अंदर बदलने की इच्छा का चित्रण है | कहानी के अंत में रेहान अपनी जान से हाथ धो बैठता है पर इस कहानी में दिखाया है कि रेहान पागल होकर अपने आपको बेशक भूल जाता है पर इंसानियत को नहीं भूलता | जिसकी मिसाल वह हिंदू लड़की को बचा कर देता है, जिसे उसके मोहल्ले के कुछ लोग पकड़ कर ले आते हैं और शायद वही अंत में उसकी मौत का कारण बनते हैं | हिंदू-मुस्लिम दंगों के ऊपर नासिरा शर्मा की यह पंक्तियां मुझे बड़ी पसंद आई... अंग्रेजों ने हमें फसाद की शक्ल में पाकिस्तान तो उसे में दिया है और हम उस जख्म को जब तक जिएंगे पालते रहेंगे करें भी क्या कर ही कुछ नहीं सकते हैं अपाहिज जो ठहरे (पेज नंबर 32) अंत में नासिर शरमा के द्वारा ये सवाल उठाना की क्या सुरैया घुन थी .. मोहब्बत के ऊपर एक कटाक्ष है |

3. गूंगा आसमान
इस संकलन की तीसरी कहानी गूंगा आसमान है जो इस संकलन के प्रतिनिधि कहानी है | इस कहानी का नायक फरशीद  है जबकि उसकी पत्नी का नाम मैहरअंगीज है |फरशीद अपनी पुलिसिया ताकत के दम पर तीन और औरतों माहपारा, दिलाराम और शबनूर को उठाकर अपने घर में कैद कर लेता है | मेहरअंगीज फरशीद से इल्तजा करती है....  खुदा ने बहुत दिया है | इन मासूम परिंदों को उड़ा दो| यह गुनाह है, दीन धर्म इसकी इजाजत  नहीं देता है | लेकिन फरशीद उसकी एक नहीं सुनता और अपना मर्दाना जुल्म उन चार औरतों पर जारी रखता है | लेकिन मेहरअंगीज उन बेबस औरतों को घर से निकालने की ठान लेती है | वह शहर में  बाहर जाती है और उन लड़कियों को बाहर निकालने की योजना अपने मायके के परिवार वालों के साथ मिलकर बनाती है और उनको फरशीद के पिंजरे से आजाद कर देती है, लेकिन फरशीद उल्टा मेहरअंगीज को अपनी पुलिसिया ताकत की वजह से गुनहगार साबित कर उसे अपने ही घर में नजर बंद कर देता है | अब मेहर अंगेज उसी घर की कैदी बन जाती है जहां की वह मालकिन होती है | कहानी के अंत में कुछ इस तरह उसकी बेबसी उभरकर सामने आती है... वह बेबस ही  खड़ी रह गई | पुलिस की गाड़ी फरशीद और उस औरत को लेकर तेजी से निकल गई | मेहरअंगीज के होंठ सब कुछ जानने के बाद उस औरत की वकालत में खुल ना सके | फिलहाल खुलते भी तो अब उसका विश्वास कौन करता  |उसने जंगले से बाहर झांका, जहां गूंगे आसमान पर सूरज का गोला निकलने वाला था |(पेज नंबर 50)

मेरी राय:- खुश्बू का रंग एक मनोवैज्ञानिक रचना है जिसमें नायक का अस्तित्व सिर्फ उसकी यादों में है | नायक का चरित्र नायिका की यादों के सहारे ही गढा गया है | कहानी का ताना बाना इरान/ ईराक की परिस्थितियों में बुना गया है | ये कहानी स्वयं से संवाद (monologue) विधा में लिखी गई है जिसमें नायक की बहन अंत में नायिका से मिलती है |

दूसरी कहानी सरहद के इस पार  में नायक रेहान अपनी मोहब्बत के चलते मानसिक संतुलन खो बैठता है लेकिन उसमें इंसानियत बाकी चरित्रों से ज्यादा है गोया कि होश में रहना आदमी को ज्यादा जालिम बना देता है | कहानी के अंत में रेहान का जान से चले जाना थोडा अखरा | नायिका विवाह के बाद उस पार है और इस पार रेहान के साथ क्या बीतती है इसी को सार्थक करता हुआ शीर्षक है सरहद के उस पार |

तीसरी कहानी गूंगा आसमान  संग्रह की शीर्षक कहानी है और अपने अंदर एक स्त्री की साड़ी विवशताएँ और भावनाएं समेटे है | पुरुष सत्ता द्वारा लादी गई सारी बेड़ियों के बावजूद भी एक स्त्री के संघर्ष का दस्तावेज है गूंगा आसमान | मेहरअंगीज का फरशीद के साथ संघर्ष कोई उसका व्यक्तिगत संघर्ष नहीं है पर वह फरशीद द्वारा जबरन कैद की गई लड़कियों के लिए है | इस कहानी की पृष्ठभूमि भी ईराक / इरान के है पर मेहरअंगीज का संघर्ष सार्वभौमिक है | 
नासिरा जी की कहानियों में भाव सम्प्रेष्ण का इतना सघन और इतनी तरलता से मौजूद है कि आप उसमें सहज भाव से कभी डूबने लगते हैं और कभी तैरते रहते है | उनके द्वारा प्रयुक्त भाषा व् प्रतिबिम्ब बरबस ही दिमाग में पैबस्त हो जाते हैं और दिल में उतर जाते हैं | उनकी कहानियाँ आत्मसात होने में वक्त लेती है और कई दिनों तक पाठक के आसपास तैरती रहती हैं | कम से कम मैं तो उनकी कहानियां लगातार नहीं पढ़ पाया पर इसका कारण यह है कि मैं पढना नहीं चाहता था क्योंकि उनके शब्द , भावनाएं और चरित्र कई देर तक आँखों के सामने साकार रहे और इसीलिए इस ब्लॉग में तीन ही कहानियों की चर्चा की है |
अगर आपने मेरी तरह इससे पहले नहीं पढ़ा है तो जरूर पढ़ें 


Sunday, May 12, 2024

James Hadley Chase : The vultures is a patient bird

  Name of Novel : The vultures is a patient bird

 Author : James Hadley Chase
 First Published : 1969 in Great Britain by Robert Hale Ltd 
                            1971 by Panther Books Ltd
 Publisher : 2008 Vasan Publications / Mastermind Books
 ISBN No. :  ISBN-10: 818988817X,  ISBN-13: 978-8189888176                        
 Pages : 175                         
 Price: 125/- MRP


the vulture is a patient vulture
The vulture is a patient bird


The sun glittered on the broad blade of his assagai. For a brief moment, he balanced the heavy stabbing spear in his black hand, then threw it with unerring aim and tremendous force at Themba's unprotected back.. High on the evening sky, six vultures began to circle patiently.
......... ( page 118 ).... from this novel  

 As most of us know, James Hadley Chase was an english writer who was hugely popular for his crime fiction. His birth name was Rene Lodge Brabazon Raymond. But he adopted a couple of pen names or various pseudonyms like James L Docherty, Raymond Marshall, R. Raymonds, Ambrose Grant and James Hadley Chase. Now most of his work is available under his pen name JHC. it is said that almost 50 of his books are transformed into books which is indicator of his success.

the vulture is a patient vulture
The vulture is a patient vulture


As I have already mentioned, this novel was published in 1969. Although novels of JHC are always a point of attraction to all of indians as their hindi translations are packed with some beautiful and exposed ladies on the front page and this was the major hindrance to readers like me who are under strict discipline under home so I confess here that through all those years I never read JHC novels.  But last year, I saw some books published from Mastermind books which do not have these semi naked pic on cover, so I grabbed the opportunity and collected whole lot of 88 books of JHC.

james hadley chase
The vulture is a patient vulture

How the story unfolds:
  
The vultures is a patient bird is a story about an attempt to get a antique Borgia ring which is under the belt of mighty self proclaimed king like thespian of crime world, Max KahlenbergArmo Shalik has a unique modus operandi to get money. He undertakes assignment from wealthiest people of the world to facilitate their legal and illegal business or other than business. A brilliant but sadistic safe breaker Lew Fennel, a beautiful professional seductress Gaye Desmond an expert young punter Ken Jones and an ace pilot with a shady past Garry Edwards are the members of Armo Shalik team to get back the mysterious borgia ring from Kahlenberg. He is a cripple but control his property with authority of a ruthless butcher. In their expedition, Garry and Desmond takes aerial root and Fennel and Ken are directed to take pathetic road to enter in Kahlenberg territory. 

The complete story can be divided into four parts- assembly of Armo Shalik team, expedition to Drakensberg range where house of Kahlenberg is built, theft of Borgia ring and escape from thereof. A lot of pages are devoted to journey of Fennel and Jones adventures which are full of cobras, elephants, lions and rhinos. To me, this part of story is boring as slows the pace of story and nothing significantly happens apart from strained equation between Desmond and Fennel who was repelled by lust of Fennel. This also develops a close proximity between Garry and Desmond. Why it  appears to a sluggish narration, because today all are well exposed to realities of jungle, due to discovery and all other sorts of things. The third part of story is theft but it proves to bee easy for Shalik army. It is the escape from Kahlenberg House which proves fatal for team.

This story also have a character of Natalie Norman which have some ethics but she get deceived by charms of Daz Jackson, who in turn a pawn of Buenett, to get the information about the plan of Armo Shalik. Natalie Norman was able to generate the sympathy of readers otherwise all others are choosing their own destiny.


The vulture is a patient vulture
The vulture is a patient vulture

For me, it is climax where James Hadley Chase scored full points. In climax, we feel sorry for the Jones, Desmond and even Fennel as Borgia ring proves fatal to all of them and still the climax has all the ingredients which will immerse reader in its magic spell of story telling. This novel was published about 51 years ago and still have some old charm. if any body have not  got the opportunity to have a look can go for one time read. 

In India, a movie named as Shalimar was supposed to made loosely based on this story in 1978 but failed miserably at box office that time. Shalimar was written and directed by Krishna Shah. The star cast of movie include Dharmendra, Zeenat Amaan, Rex Harrisson, O P Ralhan, Shammi Kapoor etc. This film has a classic song ' ham bewafaa hargiz naa the, par ham wafaa kar na sake ). For this song Kishor Kumar got the filmfare award. Surprisingly Usha Utthup also got filfare award for one two cha cha ... for the same film.

In hindi, this novel was translated as jahreeli angoothi ( जहरीली अंगूठी ) which was published by Diamond Pocket Books whose cover photo is provided to me by Mr. Raju Jachak of Pustakon ka sansaar whatsapp group. He is ardent fan of James Hadley Chase.
                                       ©©© jitender nath


hindi translation of The vulture is a patient vulture
Zahreeli Angoothi (जहरीली अंगूठी)

Thursday, June 22, 2023

Tumhara Namvar : Namvar Singh

पुस्तक: तुम्हारा नामवर

लेखक: नामवर सिंह

संपादन: आशीष त्रिपाठी

प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली

आचार्य राम चन्द्र शुक्ल, राम विलास शर्मा, मैनेजर पाण्डेय और नामवर सिंह। 

हिंदी साहित्य की पगडंडियों पर आप चलते हैं तो इन नामों से आप जरूर सरोकार रखते होंगे। किसी जमाने में दूरदर्शन को हमने बेशक इडियट बॉक्स का नाम दिया होगा लेकिन आज के युग के स्मार्ट tv के सामने मुझे तो समझदार लगता है। उस पर प्रसारित होने वाले प्रोग्रामों के जरिये लोग उस वक्त के साहित्यकारों को सहज ही जान जाते थे।

 कमलेश्वर उस वक्त tv पर बड़ा जाना पहचाना चेहरा थे।उन्ही के किसी प्रोग्राम में नामवर सिंह को देखा था। अपनी वेशभूषा और नाम की वजह से वे तब से याद हैं। साहित्य आलोचना को नामवर सिंह जी ने एक नया आयाम दिया। उनके जाने के बाद उनके काम को समझना भी एक अनुभव है। 

उनकी इस पुस्तक 'तुम्हारा नामवर' में उनके लिखे पत्र हैं जो समय-समय पर विभिन्न सहित्यकार बंधुओं को लिखे गए हैं। उन संवादों को पढ़ना उस वक्त के इतिहास का साक्षी होना है। 

राजकमल प्रकाशन ने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। पुस्तक तीन खंडों में विभाजित है। 

पहले खंड में परिजनों से, 

दूसते खंड में साहित्यकारों से 

और तीसरे खंड में श्री नारायण पाण्डे को लिखे पत्र हैं।

विस्तार से फिर किसी पोस्ट में...

#jitendernath #bookhubb #नामवरसिंह #किताब #पुस्तक

Tumhara Namvar


Wednesday, June 21, 2023

Kaifi and I: Shaukat Kaifi Azmi

Kaifi and I
Kaifi and I

 Book: Kaifi and I

Writer: Shaukat Kaifi

Genre: Memoirs

Renowned economist and Noble prize winner Amartya Sen had written about 'Kaifi &I' - To say that this is a lovely book would be an understatement. It is an enchanting recollection of the life of a hugely talented and sensitive human being, shared with a great poet.


The above mentioned views are about 'Kaifi & I'- A Memoir written by Shaukat kaifi and translated by Nasreen Rehman.


After a long time, I got privilege to go through such a mesmerizing book. It is perfect example of magical translation of emotions and pathos. Through out of the book, Shaukat Kaifi has narrated her life in such a simple way that you feel the vibration of emotions, pain of struggle and magic of Kaifi Azmi. Kaifi Azmi, the great Shayar and poet, present in this book with all of his weaknesses and strengths. A great treat for book lovers and fans of Kaifi Azmi.

Main ye sochkar uske dar se utha tha ki vo rok legi, manaa legi mujhko..... A song from Hakikat, a pioneer war film by Chetan Anand, which make two minuses into huge plus for Indian cinema.


Sholay: The Making of Classic : Anupama Chopra

Book : Sholay - The Making of Classic Written by: Anupma Chopra Publication : Penguin Random House Books, India Price : 299/- Pages : 194 IS...