Friday, November 20, 2020

Mark Billingham: Novels

 Mark Billingham: His fiction and Characters:-

mark billingham
Mark Billingham
Among the crime fiction writers, Mark Billingham is considered as the most popular in UK. In most of the crime fiction, we come across a detective or police officer and a culprit. A chain of victims connect them by a series of events like murder, accidents etc. Characterization of Mark Billingham  is unique in one way or other. He had a firsthand experience of being a hostage at gun point. He gives a thorough experience of victim’s emotions and experiences. His novels have dark shade but portray less violence as the plot progresses.

He conceptualized Detective Inspector Tom Thorne in 2001. His novels featuring D.I. Tom Thorne are hugely popular. Tom Thorne’s fiction won him Sherlock Award for the best British detective and Crime Novel of the year award. His books are among the Sunday times top ten best seller consistently. Cry Baby is the new book which is slated to be released in july 2020. This book is 17th book of Tom Thorne.

Tom Thorne series:
  1. Sleepy head ( published in 2001)
  2.  Scaredy cat (published in 2002)
  3.  Lazybones (published in 2003)
  4. The Burning Girl (2004)
  5. Lifeless (published in 2005)
  6. Buried (published in 2006)
  7.  Death Message (published in 2007)
  8.  Bloodline (published in 2009)
  9. From the Dead (published in 2010)
  10. Good as Dead (published in 2011)
  11. The Dying Hours (published in 2013)
  12. The Bones Beneath (published in 2014)
  13. Time of Death (published in 2015)
  14. Love Like Blood (published in 2017)
  15. The Killing Habit (published in 2018)
  16.  Their Little Secret (published in 2019)
  17. Cry Baby (published in 2020)
His latest book 'Cry Baby' is the latest novel. It is supposed to be prequel of his debutante novel 'sleepyhead'. It portrays Tom Thorne as a haunted man. His intuition for crime fails him which lead to the disappearance of a child with his friend, Keiron Coyne. He pledge to himself that he would not be a wrong person in his judgement.
cry baby
Cry Baby:Mark Billingham
Apart from above series, he has written some other novels also which are not in any series:-
1.       In the dark (in 2008)
2.       Rush of blood (in 2012)
3.       Die of shame (in 2016)
4.       Omnibus having - From the dead, Lifeless, Death message, The bones beneath, Sleepyhead, The Burning Girl, Scaredy cat and Die of shame. (In 2018)

He has contributed to some collections along with some other writers like Haran Coben, P D James etc.
1.       Crime writers: A Decade of Crime (in 2013)
2.       Dancing Towards the Blade and Other Stories (in 2013)

Sunday, October 11, 2020

Anil Mohan : Novels list with Parts

अनिल मोहन जी हिंदी उपन्यास जगत के एक लोकप्रिय उपन्यासकार हैं, जिनकी लेखनी से अनगिनत उपन्यास निकले हैं । उनके उपन्यास मुख्यतः देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरीज के होते हैं ।और कुछ अनुमानों के मुताबिक उन्होंने लगभग 700 के करीब उपन्यास लिखे हैं जिसमें से कुछ उपन्यास सीरीज में प्रकाशित हुए हैं जो एक से अधिक भागों में बटी हुई है । उनकी लिस्ट निम्न प्रकार से है :-

1. ज्वालामुखी, खुंखार
2. पहली चोट, दूसरी चोट, तीसरी चोट, महामाया की माया
3. सबसे बङा गुण्डा, मैं हूँ देवराज चौहान
4. जथूरा, पोते बाबा, महाकाली
5. एक रुपये की डकैती, डकैती के बाद
6. बंधक, सबसे बङा हमला, वांटेड अली(wanted अली)
7. नागिन, नरबलि, नागमणि
8. बारूद से मत खेलो, दौलत के दांत
9. हमला, जालिम
10. 100 माइल्स, डाॅन जी
11. गोला बारूद, भूखा शेर, आदमखोर, निशानेबाज
12. अंडरवर्ल्ड, गैंगवार
13. डकैती का जादूगर, हांगकांग में डकैती, लाइसेंस टू किल
14. फिक्स्ड गेम, डबल प्ला‌‌न
15. दिल्ली का दादा, दरिंदे, हिंसक
16.  ऑपरेशन टू किल, ऑपेरशन 24 कैरेट
17.  खबरी, अघोरी
18. सरगना, मास्टर, गुड्डी, मंत्र
19. देवदासी, इच्छाधारी, नागराज की हत्या, विष मानव
20. ताज के दावेदार, कौन लेगा ताज, जीत का ताज
21. बबूसा, बबूसा और राजादेव, बबूसा खतरे में, बबूसा का चक्रव्यूह, बबूसा और सोमाथ, बबूसा और खुंबरी
22. अनोखी दुल्हन, दुल्हन मेरी मुट्ठी में
23. दौलत मेरी माँ, जीना इसी गली में
24. पहरेदार, सुलग उठा बारूद
25. तबाही, 36 दिन, सच का सिपाही, डमरू

Wednesday, September 23, 2020

Amrita-Imroz: Uma Trilok

 मेरे इमरोज़..

तेरा - मेरा स्नेह - जिसका कोई सामाजिक नाम नहीं, फिर भी हम साथ रहते हैं हमेशा एक - दूजे के सोच तले.. नहीं देना हमें अपने खूबसूरत भावों को किसी रिश्ते का नाम..!! 
बस यूँ ही अपनी जिंदगी के चर्ख (आसमान ) पर चांदनी बिखरी रहे हमेशा..
..और खुला रहे सदा क़मर ( चांद ) का दरवाज़ा रौशनी लिए..
तेरे भावों के ये महकते से अहसास के फूल बड़ी कशिश भरे जतन से दिल के शजर ( पेड़ ) में रखूंगी..!! 
..और यूं ही रहेंगे हम चिर साथ - साथ, किसी सामाजिक मुहर के बंधन से परे.. 
मैं और मेरा प्यारा सा इमरोज..
"तेरी अमृता"
अमृता इमरोज  पेंग्विन बुक्स द्वारा प्रकाशित और उमा त्रिलोक द्वारा लिखित एक पुस्तक है जिसमें हिंदी एवं पंजाबी साहित्य की मूर्धन्य लेखिका अमृता और इमरोज के अंतिम दिनों का चित्रण है। अमृता प्रीतम हिंदी और पंजाबी साहित्य की एक ऐसी दीप्तिमान लेखिका और कवयित्री रही है जो किसी परिचय की मोहताज नहीं। उनका जीवन उनके लेखन की तरह अपने वक्त से आगे का जीवन रहा जिसमें दो छोर साहिर लुधियानवी और इमरोज के रूप में उपस्थित रहे और अमृता साहिर लुधियानवी की तरफ अपना झुकाव सारी जिंदगी सारी दुनिया के सामने प्रदर्शित करती रही लेकिन साहिर के जाने के बाद उन्हें ठिकाना मिला इमरोज के पास।
उमा त्रिलोक कि यह पुस्तक अमृता प्रीतम और इमरोज के बीच एक अनोखे और प्रगाढ़ रिश्ते की विवेचना करती हुई आगे बढ़ती है अमृता इमरोज में अमृता प्रीतम के हौज खास स्थित घर में बिताए गए उनके तीन मंजिल का घर और इमरोज द्वारा पेंटिंग्स की जीवंत उपस्थिति जी का वर्णन है उमा बताती हैं कि पूरे घर में अमृता की पेंटिंग्स लगी हुई थी जिसमें उनका अलग अंदाज और अलग शख्सियत उजागर होती थी। यह तस्वीरें इमरोज के मस्तिष्क और रूह पर अमृता प्रीतम की छवि को दर्शाती थी जैसे कोई जिस्म अपनी रूह के साथ मिलकर एकाकार हो गया हो और कैनवस के रंगीन पन्नों पर उभर आई हो। इस पुस्तक में अमृता प्रीतम खुद अपने ही स्वरूप में मौजूद हैं जो कमजोर काया होने के बावजूद भी सशक्त साहित्यकार की उपस्थिति दर्शाती हैं। इमरोज के बारे में अमृता खुद ही बताती हैं कि "वे चांद की परछाइयां मैं से रात के अंधेरे में उतरे और उनके सपनों में चले आए।" इमरोज़ अमृता को माजा के नाम से बुलाते हैं जो उन्होंने एक स्पेनिश नॉवेल की हीरोइन के ऊपर रखा था।
अमृता प्रीतम अपने अंतिम सांसे चाहे दिल्ली में ली हो पर उनकी किताबों में पंजाब महकता रहा है हमेशा अपना जीवन उन्होंने दर्द के प्रतिरूप के तरह माना और उसे इन शब्दों में स्वीकार किया है
"एक दर्द था 
जो सिगरेट की तरह मैंने चुपचाप पिया सिर्फ कुछ नज्में है 
जो सिगरेट से राख की तरह मैंने झाड़ी है "
इमरोज़ के बारे में अमृता जी बताती हैं कि उन्हें  बीस साल तक लगातार हर दूसरे तीसरे दिन एक सपना दिखाई देता रहा जिसमे एक तरफ जंगल और दूसरी तरफ दरिया था और खिड़की के पास एक व्यक्ति कैनवस पर पेंटिंग कर रहा होता था पूरे 20 साल ऐसा होता रहा लेकिन इमरोज के मिलने के बाद उन्हें सपना कभी नहीं आया जाहिर था कि उनके जीवन में जो दरिया था वह इमरोज़ था।
साहिर लुधियानवी और अमृता के रिश्ते के बारे में  उमा जी बताती है कि
चौदह साल तक अमृता उसकी छाया में चलती रही दोनों के बीच एक मूक वार्तालाप चलता रहा मैं आता अमृता को अपनी नज्में पकड़ा कर चला जाता कई बार तो अमृता की गली की पान की दुकान तक ही आता पान खाता सोडा पीता और अमृता की खिड़की की तरफ एक बार देख कर लौट जाता
                                               पृष्ठ संख्या-93
प्यार में अपनी पहचान को खोना अमृता के लिए कोई प्यार नहीं था। क्योंकि शायद वे मानती थी प्यार किसी व्यक्ति विशिष्ट के अस्तित्व पर आधारित होता है अन्यथा ये आत्म मुग्ध स्थिति के सिवा कुछ नहीं।वे सीधे सपाट शब्दों में कहती हैं:-
चादर फट जाए तो टाँकी लगांवा
अम्बर फटे क्या सीना
खाविंद मरे मैं और करां
मरे आशिक तो कैसा जीना
जब इमरोज़ से साहिर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ मान लिया कि मैंने बिना किसी अहम, तर्क-वितर्क और हिसाब किताब के बिना इसे सच मान लिया। जब कोई सच को समझ लेता है तो सहज हो जाता है। सहज भाव से जीना बड़ा सरल है।
उमा त्रिलोक की लिखी किताब एक जीवंत दस्तावेज है जो अमृता प्रीतम के अंतिम समय के अंतराल का सजीव चित्रण करता है। पढ़ते हुए लगता है कि जैसे हम उनके साथ ही हों। अभी साथ के कमरे से इमरोज आ जाएंगे हाथ में प्याला लिये हुए।


Ankush Saikia : Remember Death

 Remember Death is a thriller written by Ankush Saikia who belongs to Assam who has a long career in journalism and have written some thrilling novels like The girl from nongrim Hills and Dead meat. This novel is published by Penguin India and the cover is interestingly design by Devangana Das and Abhishek Chaudhary.

This novel is about private detective Vikram Arora ,a middle aged man of 42 whose body have starting to show the sign of disintegration due to his various Adventures in the past. He had an Army background so he has some scars from the past on the body and the soul as well.

Ankush Saikia has created a character who is quite mortal yet found himself in the middle of mysterious affairs which can lead to his final destination that is death. This novel has different story tracks which leads to the events which have happened in 1950 and 60s.

The story revolves around Agnes Pereira, a former air hostess who is wanted by some high-profile persons and they engage private detective Arjun Arora to track her. Arjun Arora starts his investigation and finally track her in The Hills of Manali where he encounter the glimpses of deaths along with Agnes Pereira in the mountain valleys of Manali. Right from the starting the story moves from sea shores of Goa to the Hills of Manali and to Bombay and then in Delhi.

Initially the tempo of the story is very slow and it gains  some momentum  when Arjun Arora starts its investigation  about the past of Agnes. It Leeds him to The Secret past of three generations of lost movie star of yesteryears Munni. The Mysterious disappearance of Munni is a curious case of investigation which is related to the president of Agnes Pereira. This journey leads Arjun Arora to Lucknow where he faces the surviving past of the heroine. There is a lot of characters like Kailash Swami, Sunny Chadda, Viswanathan, Vikas which are related to the mysterious happenings in the life of a prominent political leader of the past Dinesh Chadda. A murder in a cottage of Mumbai of a bar dancer Savitri is the point where this all starts and interesting story of mistaken identity starts.

Here the plot wise the novel is a good combination of various plots and subplots related to the past of Agnes prayer and Arjun Arora. There is parallel track of family relationships between Arjun Arora his wife Saloni and his daughter Rhea. Although story is very slow in the beginning but when it catches it's Track then it is adventurous as well as action packed. The psychological dealing of Main character is very appropriate and relevant as a character of a middle aged men worried about he is marital future and aimless journey to the future. Agnes Pereira is portrayed as a meek, submissive and insecure women who unintentionally evokes the Wrath of a group of people who are sitting pretty at the top of social Strata. They become enemy of Aegnes when there Mighty position in society comes under question. A lot of print is devoted in the novel about the appetite and alcoholic tendencies of Arjun Arora and here Ankush Saikia as shown his liking to the great variety of Indian and western cuisine. There are minor characters like Lisa and Chandu as the personal secretary and handyman of Arjun Arora for minor cases to deal with. In the end we can say that Ankush Saikia is successful in creating an interesting mystery in Remember Death although it is slowly paced in the beginning as it deals with psychological portrayal of its main protagonist Arjun Arora. The novel qualified for the one time reading only.

My rating for the novel is ★★★
The book is available at Amazon and Flipkart.

Santosh Pathak : 10 June ki Raat

 उपन्यास : दस जून की रात 

लेखक :संतोष पाठक 
श्रेणी : थ्रिलर 
प्रकाशक : सूरज पॉकेट बुक्स, ठाणे , महाराष्ट्र। 
मूल्य : 280/-
पृष्ठ संख्या : 230 

दस जून की रात 


सबसे पहले तो एक डिस्क्लेमर सबके समक्ष रखना चाहूंगा कि मैं कोई सर्टिफाइड समीक्षक नहीं हूँ  और इस  ब्लॉग पर मैं जो किताब अपनी खून पसीने की कमाई से खरीदता हूँ  उसके बारे मैं निष्पक्ष राय रखने की कोशिश करता हूँ जितना मैं समझ पाता हूँ और आप मेरी राय से इत्तेफाक रखें ये जरुरी तो नहीं, पर हम बात तो कर ही सकते हैं पुस्तकों के बारे में।

  यहां मैं श्री संतोष पाठक द्वारा लिखे गए उपन्यास दस जून की रात के बारे मैं, जो मैंने अभी अभी पढ़ा है, के बारे मैं बात करना चाहूंगा। सूरज पॉकेट बुक्स के नए नवेले सेट में यह उपन्यास प्रकाशित हुआ है और ये बात मुझे एक बार फिर माननी पड़ेगी की उपन्यास को एक बेहतर एवं स्तरीय साज सज्जा के साथ पाठकों के सामने प्रस्तुत किया गया है।  आवरण पृष्ठ पर  कार्टून टाइप के चरित्र चित्रण से बचकर एक रहस्य्मयी रात का सन्नाटा दिखता हुआ कलेवर है जो उपन्यास के नाम से मेल खाता हुआ है। सूरज पॉकेट बुक्स ने रहस्य रोमांच और अपराध को अपना जॉनर चुना है और इस विधा की पुस्तकों को लुगदी प्रकाशन के अभिशाप से छुटकारा दिलाकर उच्च क्वालिटी के कागज पर छपी पुस्तके अब पाठकों तक पहुंचने का जिम्मा सफलता पूर्वक निभाया है। इस प्रयास में यह प्रकाशन इंग्लिश भाषा में इसी जॉनर की पुस्तकों को प्रकाशित करने वाले कई नामचीन प्रकाशकों से इक्कीस ही है कमतर तो बिलकुल भी नहीं।

        संतोष पाठक ने यह उपन्यास थ्रिलर उपन्यास के रूप में  लिखा है जिसमे आपको उनके रचे गए पात्र प्राइवेट जासूस विक्रांत गोखले या खोजी पत्रकार आशीष गौतम के दर्शन नहीं होंगे। यही इस उपन्यास की खास बात है। इससे पहले के संतोष पाठक के  उपन्यासों में मनोरंजक उपन्यास जगत के वट वृक्ष शक्शियत सुरेंदर मोहन पाठक की झलक साफ़ नजर आती थीऔर इस बात को संतोष पाठक ने ईमानदारी से स्वीकार भी किया है। । इससे पहले के उपन्यास क़त्ल का पहेली में संतोष पाठक ने आपकी अलग जमीं खोजने की शुरुआत कर दी थी और प्रस्तुत उपन्यास दस जून की रात में  यकीनी तौर पर उन्होंने उस प्रभाव से मुक्त होने में  सफलता प्राप्त की है।

             दस जून की रात  इंस्पेक्टर सतपाल सिंह के लिए क़यामत की रात साबित होती है  वो इसलिए कि पुलिसिया रोब मे वो अनजाने में एकऐसे शक्स  को एक लाश की शिनाख्त के लिए बुला बैठता है जो एक पनौती  है!!!!! जी हाँ !!!! पनोती !!! यही नाम है इस उपन्यास के नायक विशाल सक्सेना का जो उसके करीबी  लोगों ने दिया है।  विशाल सक्सेना एक पच्चीस साल का युवक है जिसके सर से बाप का साया उठने के बाद उसकी मां  ने उसका पालन पोषण  नौकरी करते हुए किया है। विशाल क्रिमिनोलॉजी  और पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन में पोस्ट ग्रेजुएट है , बॉक्सिंग और निशानेबाजी का चैंपियन है।
 संतोष पाठक ने एक ऐसा चरित्र गढ़ा है जो दो विपरीत ध्रुवों का संगम है। वह बुद्धिमान होते हुए अहमक हो  सकता है और अहमकाना हरकत करते हुए निहायत चतुराई से दूसरे को गच्चा भी दे सकता है। पढ़ा लिखा पर बेतरतीब मस्त मौला है  परन्तु दूसरों के लिए है पनौती। इंस्पेक्टर सतपाल खुद कबूल करता है कि "सच तो ये है कि मैंने इसके जैसा सीधा सादा , मक्कार ,कुशाग्र बुद्धि वाला बेवकूफ , नर्मदिल बेरहम , किस्मत वाला बदकिस्मत आदमी ताजिंदगी  नहीं देखा।''
इस पनौती को बुला बैठता है इंस्पेक्टर सतपाल सिंह। जो रात विशाल को उसके जीवनसाथी संजना कुलकर्णी से मिलवाने वाली  थी उसी रात को विशाल का सामना होता है एक लड़की की लाश से जिसे विशाल उर्फ़ पनोती नहीं जानता और पुलिस कहती है कि लड़की उसकी जानकार है क्योंकि लड़की ने मरने से पहले पनौती को कई बार फ़ोन किये थे। यहीं जो कहानी रफ्तार पकड़ती है तो रुकने का नाम नहीं लेती।
कहानी में बड़े रोचक मोड़ हैं और खतरनाक भी इतने हैं कि इंस्पेक्टर सतपाल खुद सलाखों के पीछे पहुँच जाता है और इल्जाम होता है  स्थानीय बाहुबली महावीर सिंह के एक विश्वास पात्र  प्यादे के खून का।  इसी घटना क्रम में फरीदाबाद की पुलिस होती है अपने नायक पनोती  उर्फ़ विशाल के पीछे जो हर हाल मैं उसे पकड़ना चाहती है । फिर शुरू होता है घाट और प्रतिघात का सिलसिला जिसमे पनौती की जान पर बन आती है। पनोती को अब कातिल भी खोजना है , अपनी जान भी बचानी है और इंस्पेक्टर सतपाल सिंह के साथ वो जिस बर्र के छत्ते में हाथ दे बैठता है उससे निपटना भी है।
                दस जून की रात एक मर्डर निस्ट्री तो है ही साथ में एक एक्शन पैक्ड थ्रिलर भी है।  बहुत दिनों के बाद कोई ऐसा उपन्यास हाथ में आया जिसके चरित्र साकार  होकर आपके साथ चलने लगे हो। प्रत्येक चरित्र को संतोष पाठक एक अलग रंग में रंगने में कामयाब रहे है चाहे वो निक्की हो या नेहा, संजना हो या आशा। मुश्ताक , विक्रम सैनी, ओमकार सिंह, इंस्पेक्टर राघव सब अपनी जगह जमे हैं यहाँ तक कि पनौती की दोस्त सुचित्रा अपने चुलबुलेपन की छाप छोड़ जाती है।   उम्मीद है यह से उपन्यासकार संतोष पाठक का  वो सफर शुरू होगा जिसकी उनके पाठकों को आस है। उनका  यह चरित्र विशाल सक्सेना उर्फ़ पनौती आगे आने वाले समय में हो सकता है ऐसे लोगों को इन्साफ दिलाने वाला हो जो आम जान जीवन से आते है और अपराध जगत से जिनका कोई वास्ता न हो। 
 इस उपन्यास का नायक विशाल सक्सेना आम अदना सा नागरिक है लेकिन एकदम से वायलेंट हो कर कानून को  अपने हाथ में लेना अखरता है और उसके द्वारा काम जिस परिस्थतियों में हुए हैं तत्कालीन रूप से सहीं लग सकते हैं पर न्यायोचित हैं या नहीं इस विमर्श से संतोष पाठक जी ने परहेज किया है। उनके दूसरे उपन्यासों के मुकाबले दस जून की रात में पनौती द्वारा इस्तेमाल की गयी भाषा संयमित और मर्यादा की सीमा में है जो इस किताब का प्लस पॉइंट है और सुरेंदर मोहन पाठक की छाया  से कुछ हद तक उनको दूर करने में कामयाब रहा है। 
   कुल मिला कर उपन्यास रोचक और पाठकों की कसौटी पर जिसकी खरा उतरने की प्रबल सम्भावनाहै और संग्रहणीय श्रेणी का स्तर है।
मेरी नजर में उपन्यास की रेटिंग ★★★★★/★★★★★

निम्न लिंक से आप उपन्यास खरीद  सकते हैं।
1)   https://www.amazon.in/Dus-June-Raat-Santosh-Pathak/dp/9388094204/ref=sr_1_1?ie=UTF8&qid=1551433515&sr=8-1&keywords=santosh+pathak+hindi+novel
2 ) http://www.soorajbooks.com/product/dus-june-ki-raat/
Santosh Pathak

Tumhara Namvar : Namvar Singh

पुस्तक: तुम्हारा नामवर लेखक: नामवर सिंह संपादन: आशीष त्रिपाठी प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली आचार्य राम चन्द्र शुक्ल, राम विलास शर्मा, म...